हमको समझ बैठी है-चार दीवारी १९६१
सन १९६१ की शशि कपूर और नंदा अभिनीत चार दीवारी फिल्म
में दुनिया की चाल ढाल पर शैलेन्द्र के गुदगुदाते कटाक्ष को आप
महसूस करिये. क्या ये आज भी प्रासंगिक नहीं है?
तीसरा अंतरा आनंददाई है. ये तो हमारे ऊपर भी लागू होता है.
आँख मूँद के ब्लोगिंग की दुनिया में कूद पड़े और अब भुगत रहे
हैं-उगलते बने ना निगलते बने. अपने आप पर हंसना अगर आपने
नहीं सीखा तो कुछ नहीं सीखा. अरे, इस बहाने आप हंस तो लेते
हैं चाहे फिल्म अर्थ की शबाना आज़मी की तरह ही सही-तुम इतना
क्यूँ मुस्कुरा रहे हो..........
एक कहावत है जो आपको नेट पर नहीं मिलेगी मगर जनता के
बीच लोकप्रिय है-टांगें छत से लगना. इसका सीधा अर्थ तो है-
लुटिया डूब जाना. बाकी के अर्थ-अनर्थ आप समझते रहें.
गीत के बोल:
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
पर मैं अगर पागल हूँ दुनिया है पागलखाना
पर मैं अगर पागल हूँ दुनिया है पागलखाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
चाल बेढंगी दुनिया दुरंगी मतलब की अंधी
हमको न पूछे पत्थर पूजे दौलत की बंदी
चाल बेढंगी दुनिया दुरंगी मतलब की अंधी
हमको न पूछे पत्थर पूजे दौलत की बंदी
धोखे में मत आ जाना दुनिया से दिल न लगाना
धोखे में मत आ जाना दुनिया से दिल न लगाना
है बात ये पते की लो कह चला दीवाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
हम सर के बल तुम सर के बल पैर तले अम्बर
अंधा बांटे खुद को देवे किस्मत का नंबर
हम सर के बल तुम सर के बल पैर तले अम्बर
अंधा बांटे खुद को देवे किस्मत का नंबर
हर शै पे है नजराना चुपचाप देते जाना
हर शै पे है नजराना चुपचाप देते जाना
है बात ये पते की लो कह चला दीवाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
आँख पे अपनी पट्टी बाँधी भेड़चाल चलना
नदी नाला कुछ मत देखो तुरंत कूद पड़ना
आँख पे अपनी पट्टी बाँधी भेड़चाल चलना
नदी नाला कुछ मत देखो तुरंत कूद पड़ना
सब कुछ रहे अनजाना मत सोचना समझाना
है बात ये पते की लो कह चला दीवाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
पर मैं अगर पागल हूँ दुनिया है पागलखाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
.....................................................................
Hamo samajh baithi hai ye duniya deewana-Char diwari 1961
Artist: Shashi Kapoor
0 comments:
Post a Comment