Nov 4, 2019

ख़ुशी की आस रही दिल को-सावन आया रे १९४९

फिल्म सिकंदर के गीत से एक फिल्म का नाम याद
आ गया. ऐसे ही कड़ी से कड़ी जुड़ती जाती है और
पोस्ट पर पोस्ट बनती जाती है मगर निरंतरता नहीं
रह पाती. सन २०११ में एक गीत सुनवाया था हमने
फिल्म सावन आया रे से. दूसरे गीत का नंबर अब
लग पाया है.

स्ट्रेटेजी बनाना ज़रूरी है किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त
करने के लिए. रेंडम बेसिस पर किये गए प्रयास नतीजा
भी वैसा ही देते हैं. ये बात जीवन के सभी पहलुओं पर
लागू होती है तो ब्लॉग लेखन पर भी लागू होती है.

आज सुनते हैं सन १९४९ की फिल्म सावन आया रे से
एक गीत जिसे आरज़ू लखनवी ने लिखा है और जिसकी
धुन बनाई है अपने समय के अत्यंत प्रतिभावान और
गुणी खेमचंद प्रकाश ने. गीत खान मस्ताना ने गाया है.



गीत के बोल:

ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई

अँधेरी रात है तारे न चाँद और न चिराग़
अँधेरी रात है तारे न चाँद और न चिराग़ हाँ
जलाने बैठे जो दिल भी तो रोशनी न हुई
जलाने बैठे जो दिल भी तो रोशनी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई

ये दिल का ज़ख्म भी होता है कितना गहरा ज़ख्म
ये दिल का ज़ख्म भी होता है कितना गहरा ज़ख्म हाँ
जतन हज़ार किये दर्द में कमी न हुई
जतन हज़ार किये दर्द में कमी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई

ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई

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Khushi ki aas rahi dil ko-Sawan aaya re 1949

Artist: Kishore Sahu

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