ये कथा भक्त भगवान की-रामभक्त विभीषण १९५८
के बजाये गैर फ़िल्मी धार्मिक गीत ज्यादा सुने हैं. एक
फिल्म है सन १९५८ की राम भक्त विभीषण जिसका एक
अनूठा गीत हम आज आपको सुनवायेंगे.
गीत की विशेषता ये है इसे सरस्वती कुमार दीपक ने
लिखा है और इसे गाया है कवि प्रदीप ने जिहोने खुद
काफी गीत लिखे फिल्मों के लिए और स्वयं गाये भी.
संगीत तैयार किया है अजीत मर्चेंट ने.
फिल्म का शीर्षक गीत है ये और इसमें भक्त और उनके
तारणहार के ऊपर काफी प्रकाश डाला गया है.
गीत के बोल:
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
भगवन को चिंता रहती है
भक्तों के कल्याण की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
जब जब पीड पड़ी भक्तों पर
प्रभु ने आन उबारा
बाल भक्त प्रहलाद को हरि ने
नरसिंह बन के तारा
भक्तों के कारण आते हैं
काया धार इंसान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
त्रेता युग में जब रावण ने
त्रिभुवन को दहलाया
वीर सिंधु तजदीर बंधु ने
नर का रूप बनाया
भक्त विभीषण का दुःख हरने
चले राम और जानकी
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
सीते सीते हे सीते सुन
पंचवटी अकुलाई
पर्णकुटी के साथ हुई थी
सूनी कुटिया प्राण की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
कह दे ना भगवन से जा कर
अब ना करे वे देरी
अगर नहीं आ पाए तो होगी
यहाँ राख की ढेरी
है मुझको हर घडी प्रतीक्षा
भगवान की मुस्कान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
भगवन को चिंता रहती है
भक्तों के कल्याण की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
धर्म जा रहा पुण्य जा रहा
लंका नीर बहाती
आज अभागा दिया छोड़ के
दूर हो रही बाती
नहीं खबर थी रावण को भी
नहीं खबर थी रावण को क्या
ताकत प्रभु के मान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
तीन लोक से न्यारी महिमा
दो अक्षर के नाम की
दो अक्षर के नाम की
तैर रहे पत्थर पानी पर
ये लीला है राम की
तैर रहे पत्थर पानी पर
ये लीला है राम की
महिमा वेद पुराण सुनाते
महिमा वेद पुराण सुनाते
भगवन के वरदान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
भक्त विभीषण ने भीषण बन के
किया अनुपम त्याग रे
किया अनुपम त्याग
चढा दिया प्रभु के चरणों पे
जीवन का अनुराग रे
जीवन का अनुराग
लिखी भक्त ने पुत्र रक्त से
लिखी भक्त ने पुत्र रक्त से
ये गाथा बलिदान की
ये कथा भक्त भगवान की
ये कथा भक्त भगवान की
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Ye Katha Bhakt Bhagwan ki-Rambhakt Vibishan 1958
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