सोचेंगे तुम्हें प्यार करे के नहीं-दीवाना १९९२
जाता है और हमें चाहे अनचाहे स्वीकार करना ही पड़ता है.
उसके सिवा कोई चारा-खली-चूनी-घास भी तो नहीं है. अब
एक ज़माना था जब एक ब्रांड की चाय बढ़िया किस्म की
आया करती थी, जबसे उसके विज्ञापन में तबला सारंगी वाले
दिखने लगे, चाय की क्वालिटी का तबला सारंगी बज गया.
अब क्या किया जाए, चाय तो पीनी ही है.
ऋषि कपूर के लिए किसी ज़माने में हमने किशोर कुमार के
गाये गीत सुने. नया दौर आया तो कुमार सानू के गाये गीत
भी सुने. हालांकि फिल्म चांदनी और साहिबां में संगीतकार
ने जॉली मुखर्जी की आवाज़ भी प्रयोग की ऋषि के लिए.
गौरतलब है दोनों फिल्मों के संगीतकार शिव-हरि हैं. इसका
जवाब वे ही दे सकते हैं कि उनके चयन के पीछे वजह क्या
रही. सितमगर फिल्म १९८५ में आई और चांदनी सन १९८९
में. किशोर कुमार सन १९८९ में मौजूद नहीं थे. सन १९९२
की फिल्म हनीमून के लिए आनंद मिलिंद ने दो आवाजों
का प्रयोग किया है-उदित नारायण और सुरेश वाडकर.
समीर का लिखा गीत सुनते हैं जिसकी धुन नदीम श्रवण ने
बनाई है. ये कुमार सानू के हिट गीतों में से एक है.
गीत के बोल:
बोल पक रहे हैं थोडा इंतज़ार कीजिये
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Sochenge tukhen pyar karen ke nahin-Deewana 1992
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