तुम्हारी भी जय जय-दीवाना १९६७
थोडा अलग चलता है. आज के समय में इस विचार के
पुनः प्रसार की ज़रूरत है. भौतिकतावादी युग में मानवीय
सम्बन्ध और मूल्य खोते जा रहे है.
समतावादी विचारधारा वाले लोग आपको कम मिलेंगे इस
युग में. सर्वजन सुखाय वाला सिद्धांत तभी सफल हो सकता
है जब आबादी का अधिकाँश तबका आपस में एक दूसरे
का ख्याल रखे. उसकी भैंस मेरी भैंस से बड़ी क्यूँ है, उसके
केक पर एक्स्ट्रा आइसिंग क्यूँ है जैसे विचारों को त्यागना
होगा. संतोष और शांति एक दूसरे से संबद्ध हैं.
शैलेन्द्र का लिखा हुआ गीत सुनते हैं जिसे मुकेश ने गाया
है शंकर जयकिशन की धुन पर. रेलगाड़ी या रेलवे स्टेशन
हिट्स में आप इसे शामिल कर लीजिए पर तनिक ये तो
बताइयेगा ये प्रीतमपुर नाम का स्टेशनवा हमरे देश के
जुगराफ़िया में कहाँ पर है? गीत के अंत में रेलगाड़ी की
छुक छुक और संगीत का बढ़िया मिश्रण है उसका आनंद
उठाना ना भूलियेगा.
गीत के बोल:
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
न तुम हारे न हम हारे
सफ़र साथ जितना था हो ही गया है
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
याद के फूल को हम तो अपने दिल से रहेंगे लगाये
याद के फूल को हम तो अपने दिल से रहेंगे लगाये
और तुम भी हँस लेना जब ये दीवाना याद आये
मिलेंगे जो फिर से मिला दें सितारे
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
वक़्त कहाँ रुकता है तो फिर तुम कैसे रुक जाते
वक़्त कहाँ रुकता है तो फिर तुम कैसे रुक जाते
आख़िर किसने चाँद को छुआ है हम क्यों हाथ बढ़ाते
जो उस पार हो तुम हम इस किनारे
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
था तो बहुत कहने को लेकिन अब तो चुप बेहतर है
था तो बहुत कहने को लेकिन अब तो चुप बेहतर है
ये दुनिया है एक सराय जीवन एक सफ़र है
रुका भी है कोई किसी के पुकारे
न तुम हारे न हम हारे
सफ़र साथ जितना था हो ही गया है
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
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Tumhari bhi jai jai-Diwana 1967
Artists: Raj Kapoor, Saira Bano
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