अब रात मिलन की बीत चुकी-जादू १९५१
तो कभी सोचता हूँ छोटे छोटे गीत ज्यादा बढ़िया
होते हैं. सबका अपना महत्त्व है. कोई छोटा गीत भी
बढ़िया हो सकता है और कोई बड़ा गीत भी.
प्रभाव कैसा पैदा होता है गीत से वो मायने रखता है.
पीठ ऊँची ऊँट की ऊँचाई से नहीं होती, होती ही है
पीठ ऊंची ऊँट की.
सुनते हैं एक चार पंक्ति वाला गीत फिल्म जादू से
शकील बदायूनीं का लिखा हुआ जिसका संगीत नौशाद
ने तैयार किया है. गीत में बोल कम और संगीत
लबालब भरा है.
गीत के बोल:
अब रात मिलन की बीत चुकी
ये खेल बिगड़ने वाला है
ना भूल के तू इस दुनिया से
दम भर में बिछड़ने वाला है
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Ab raat milan ki beet-Jadoo 1951
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