मंज़िल वही है प्यार की-कठपुतली १९५७
के चलते लॉकडाउन के चार माह पूरे हो गए हैं और ऊपर से
दो दिन और गुज़र गये है. इस पूरे समय ने हमारी जीवन शैली
में बदलाव ला दिया है. हालांकि कई जगह लॉकडाउन से राहत
मिली है और उनमें से कई स्थानों पर मरीजों की संख्या तेजी
से बढ़ी है. वैक्सीन का ही इंतज़ार है अब तो जिससे इसके
रोकथाम में गति आये.
आज बॉलीवुड के जिन चर्चित हस्तियों का जन्मदिन है उनमें
प्रमुख है-नायक चंद्रमोहन, प्रख्यात बांसुरी वादक पन्नालाल घोष,
अभिनेता मनोज कुमार और गायक सुबीर सेन.
मनोज कुमार पर दिन भर से सोशल मीडिया पर काफी चर्चा
हो रही है. अतः हम सुबीर सेन के बारे में बात करते हैं. गायक
सुबीर सेन मूलतः बंगाली गीतों के लिए ही जाने जाते हैं. उनके
कुछ हिंदी फ़िल्मी गीत भी उपलब्ध हैं जिनमें से एक आज हम
सुनेंगे. सुबीर सेन डिब्रूगढ़ आसाम में वर्ष १९३४ को पैदा हुए.
सुबीर सेन ने कई फ़िल्मों में अभिनय भी किया है जिनमें से
अधिकाँश बंगाली भाषा की फ़िल्में है. हिंदी फ़िल्म अनुभव में
वे दिखाई दिए थे.
सुनते हैं शैलेन्द्र का लिखा और शंकर जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध
गीत फ़िल्म कठपुतली से जिसे बलराज साहनी और वैजयंतीमाला
पर फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
सपनों की महफ़िल में हम तुम नये
सपनों की महफ़िल में हम तुम नये
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
दुनिया की नज़रों से दूर
दुनिया की नज़रों से दूर जाते हैं हम तुम जहाँ
उस देश की चाँदनी गायेगी ये दास्ताँ
मौसम था वो बहार का दिल खिल मचल गये
सपनों की महफ़िल में हम तुम नये
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
छुप न सके मेरे राज
छुप न सके मेरे राज नग़मों में ढलने लगे
रोका था दिल ने मगर पहलू बदलने लगे
ये दिन ही कुछ अजीब थे जो आज कल गये
सपनों की महफ़िल में हम तुम नये
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
मंज़िल वही है प्यार की राही बदल गये
…………………………………………………..
Manzil wahi hai pyar ki-Kathputli 1957
Artists: Balraj Sahni, Vaijayantimala
0 comments:
Post a Comment