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Jun 10, 2018

सावन के दिन आये रे-सिकंदर १९४१

१९४१ की फिल्म सिकंदर से एक मेलोडिअस गीत सुनते
हैं. इसे शीला और ढेर सारे सहक गायकों ने गाया है.
गीत आप अगर सरसरी तौर पर सुनेंगे तो आपको इसमें
मद्रासी गुजरिया और रंगवा दे चदरिया जैसा कुछ सुनाई
देने लगेगा.

गीत पंडित सुदर्शन का है और संगीत रफ़ीक गज़नवी का.
वैसे ये कंफ्यूज़न बरकरार है कि इसका संगीत मीर साहब
या गज़नवी में से किसने दिया है. संगीतकारों के जो फैन
हैं उनमें से टेबल फैन, सीलिंग फैनों के बस का नहीं है
इसे पहचानना. कम से कम पेडस्टल फैन होना ज़रूरी है.

गीत के विनाईल और फिल्म वर्ज़न में अंतर है इसलिए
आपको बोलों में अंतर मिलेगा. एक अन्तरा विनाईल
वर्ज़न से गायब है. 6/6 के कान वाले बोलों को सुधारने
में मदद करें.



गीत के बोल:

हो सावन के दिन आये रे
सावन के दिन आये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया
हो बैरन साज सजाये रे
बैरन साज सजाये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया

कब लग ओढ़ूँ पुरानी चुनरिया
कब लग ओढ़ूँ पुरानी चुनरिया
सुंदर वो बन जाये रे
हाय रे हाय रे
सुंदर वो बन जाये रे

मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया
हो सावन के दिन आये रे
सावन के दिन आये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया
हो बैरन साज सजाये रे
बैरन साज सजाये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया

मन की नदिया सूरज निहांरे
मन की नदिया सूरज निहांरे
लाली चुनरिया प्रेम उभारे
लाली चुनरिया प्रेम उभारे
देखत मन ललचाये रे
हाय हाय
देखत मन ललचाये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया

हो सावन के दिन आये रे
सावन के दिन आये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया
हो बैरन साज सजाये रे
बैरन साज सजाये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया

आ गई बन में रुत मतवारी
आ गई बन में रुत मतवारी
छा गई मन में प्रेम खुमारी
जोबन शोर मचाये रे
जोबन शोर मचाये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया

हो सावन के दिन आये रे
सावन के दिन आये रे
मंगवा दे चुनरिया
मंगवा दे चुनरिया
हो घर द्वार सजाये रे
हो घर द्वार सजाये रे
रंगवा दे चुनरिया
रंगवा दे चुनरिया

हो सावन के दिन आये रे
सावन के दिन आये रे
मोहे ला दे चुनरिया
मोहे ला दे चुनरिया
सब जग मौज मनाये रे
सब जग मौज मनाये रे
मोही लागी नजरिया
मोही लागी नजरिया

गुजर गईं जोबन की बतियाँ
गुजर गईं जोबन की बतियाँ
बीत गईं रंग-रस की रतिया
बीत गईं रंग-रस की रतिया
कौन गई रुत लाये रे
कौन गई रुत लाये रे
मोहे ला दे चुनरिया
मोहे ला दे चुनरिया

सावन के दिन आये रे
सावन के दिन आये रे
मोहे ला दे चुनरिया
हो बैरन साज सजाये रे
बैरन साज सजाये रे
रंगवा दे चुनरिया
रंगवा दे चुनरिया
……………………………………………….
Sawan ke din aaye re-Sikandar 1941

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Jul 18, 2016

सजा नसीब ने दे दी-एक दिन का सुल्तान १९४५

दुर्लभ गीतों के श्रृंखला में आज प्रस्तुत है अमीरबाई कर्नाटकी
का गाया हुआ एक गीत फिल्म एक दिन का सुल्तान ने. आप
सभी सोहराब मोदी के नाम से परिचित अवश्य होंगे. इस फिल्म
का निर्देशन उन्होंने ही किया है. मिनर्व मूवीटोन द्वारा निर्मित
इस फिल्म में मेंहताब और वास्ती प्रमुख कलाकार हैं.

गीत की विशेषता है कि इसे शमशाद बेगम ने गाया है फिल्म के
लिए और रेकोर्ड के लिए अमीरबाई कर्नाटकी ने. ऐसा कुछ मौकों
पर हुआ है हिंदी फिल्मों में उदाहरण के लिए अशोक कुमार के
परदे पर गाये गीत जिनके अधिकतर रेकोर्ड वर्ज़न अरुण कुमार
ने गाये.

प्रस्तुत गीत लिखा है वली साहब ने और इसकी धुन बनाई है
रफ़ीक गज़नवी ने.



गीत के बोल:

सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
के शाख ही ना रही मेरे आशियाने की
के शाख ही ना रही मेरे आशियाने की
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की

फिजा बहार में आई है हसरतें ले कर
फिजा बहार में आई है हसरतें ले कर
रहेंगी याद हमें करवटें ज़माने की
रहेंगी याद हमें करवटें ज़माने की

सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की

गिला फलक से नहीं
गिला फलक से नहीं उसकी बेवफाई का
गिला फलक से नहीं उसकी बेवफाई का
हंसा हंसा के है आदत उसे रुलाने की
हंसा हंसा के है आदत उसे रुलाने की

सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की

क़ज़ा भी साल है
क़ज़ा भी साल है दो बेकरार रूहों का
क़ज़ा भी साल है दो बेकरार रूहों का
मैं राह देख रही हूँ क़ज़ा के आने की
मैं राह देख रही हूँ क़ज़ा के आने की

सजा नसीब ने दे दी
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Saza naseeb ne de di-Ek din ka sultan 1945

Artist: Mehtab

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