सजा नसीब ने दे दी-एक दिन का सुल्तान १९४५
का गाया हुआ एक गीत फिल्म एक दिन का सुल्तान ने. आप
सभी सोहराब मोदी के नाम से परिचित अवश्य होंगे. इस फिल्म
का निर्देशन उन्होंने ही किया है. मिनर्व मूवीटोन द्वारा निर्मित
इस फिल्म में मेंहताब और वास्ती प्रमुख कलाकार हैं.
गीत की विशेषता है कि इसे शमशाद बेगम ने गाया है फिल्म के
लिए और रेकोर्ड के लिए अमीरबाई कर्नाटकी ने. ऐसा कुछ मौकों
पर हुआ है हिंदी फिल्मों में उदाहरण के लिए अशोक कुमार के
परदे पर गाये गीत जिनके अधिकतर रेकोर्ड वर्ज़न अरुण कुमार
ने गाये.
प्रस्तुत गीत लिखा है वली साहब ने और इसकी धुन बनाई है
रफ़ीक गज़नवी ने.
गीत के बोल:
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
के शाख ही ना रही मेरे आशियाने की
के शाख ही ना रही मेरे आशियाने की
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
फिजा बहार में आई है हसरतें ले कर
फिजा बहार में आई है हसरतें ले कर
रहेंगी याद हमें करवटें ज़माने की
रहेंगी याद हमें करवटें ज़माने की
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
गिला फलक से नहीं
गिला फलक से नहीं उसकी बेवफाई का
गिला फलक से नहीं उसकी बेवफाई का
हंसा हंसा के है आदत उसे रुलाने की
हंसा हंसा के है आदत उसे रुलाने की
सजा नसीब ने दे दी नज़र मिलाने की
क़ज़ा भी साल है
क़ज़ा भी साल है दो बेकरार रूहों का
क़ज़ा भी साल है दो बेकरार रूहों का
मैं राह देख रही हूँ क़ज़ा के आने की
मैं राह देख रही हूँ क़ज़ा के आने की
सजा नसीब ने दे दी
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Saza naseeb ne de di-Ek din ka sultan 1945
Artist: Mehtab
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