Dec 6, 2010

नीला आसमान सो गया-सिलसिला १९८१

सिलसिला एक प्रेम त्रिकोण पर आधारित कहानी है।
इसमें अमिताभ बच्चन, जाया भादुड़ी और रेखा
ने अभिनय किया है। यश चोपड़ा जो कि त्रिकोण
से खासा लगाव रखते हैं उन्होंने ये एक विश्वसनीय
सी फिल्म बनाई, मगर समय से थोडा आगे होने
की वजह से फिल्म ने अच्छा व्यवसाय नहीं किया।

फिल्म की विशेषता नए रंग रूप में निखरी रेखा
के कोस्तुमे थे। रेखा सन १९८० के बाद जबसे उन्होंने
योग करना शुरू किया एक नई तरोताज़ा काया के
साथ नज़र आयीं। इस फिल्म में लभगग उन्होंने ४००
के करीब परिधान पहने हैं। ये तथ्य एक रेखा के
फैन ने मुझे बताया। मुझ में इतना ध्यान लगा
के कपडे गिनने का धैर्य नहीं है।

जावेद अख्तर ने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय करते
हुए कुछ अच्छे गीत लिखे हैं फिल्म के लिए और
संगीतकार शिव हरि का तो कहना ही क्या जिन्होंने
एक से बढ़ कर एक धुनें तैयार की फिल्म के लिए ।
फिल्म का संगीत खासा लोकप्रिय है और इसके गीत
आज भी सुने जाते हैं। सिलसिला फिल्म से ये गीत
मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। ये लता मंगेशकर वाला
संस्करण है। इसी गीत को अमिताभ ने भी गाया है।



गीत के बोल:

नीला आसमान सो गया
नीला आसमान सो गया हो
नीला आसमान सो गया

आंसुओं में चाँद डूबा रात मुरझाई
ज़िन्दगी में दूर तक फैली है तन्हाई
जो गुज़रे हम पे वो कम है
तुम्हारे गम का मौसम है
नीला आसमान सो गया
नीला आसमान सो गया

हो, याद की वादी में गूंजे बीते अफ़साने
याद की वादी में गूंजे बीते अफ़साने
हमसफ़र जो कल थे अब ठहरे वो बेगाने
मोहब्बत आज प्यासी है
बड़ी गहरी उदासी है
नीला आसमान सो गया हो
नीला आसमान सो गया

नीला आसमान सो गया
नीला आसमान सो गया
नीला आसमान सो गया

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