ओ मेरी महबूबा - धरम वीर १९७७
से कुछ एक ही सफल हुए हैं या कहें ज्यादा सुने गए.
आनंद बक्षी को जैसे पारस पत्थर मिला हुआ था. वे
जो भी गाने लिखते उनमें से अधिकांश जनता की जुबान
पर चढ जाते. ८० का दशक उनके ही नाम रहा. उनके
संग अधिकतर लक्ष्मी प्यारे का संगीत रहता. सन ७७
की एक बेहद सफल फिल्म है धरम वीर जिसका संगीत भी
चचित है, से एक गीत आपको सुनवाते हैं आज. ये एक
काफी सुना गया रोमांटिक गीत है.
ये भी एक संयोग है कि हिंदी फिल्मों के सबसे ज्यादा
रोमांटिक गीत रफ़ी ने गाये हैं, गीत चाहे हसरत जयपुरी
का हो चाहे आनंद बक्षी का.
गीत के बोल:
ओ मेरी महबूबा, महबूबा, महबूबा
तुझे जाना है तो जा, तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
पर देख तू जो रूठ कर चली जाएगी
तेरे साथ ही मेरे मरने की ख़बर आएगी
जो भी हो मेरी इस प्रेम-कहानी का
पर क्या होगा तेरी मस्त जवानी का
आशिक़ हूँ मैं तेरे दिल में रहता हूँ
अपनी नहीं मैं तेरे दिल की कहता हूँ
तौबा-तौबा फिर क्या होगा
कि बाद में तू इक रोज़ पछताएगी
ये रुत प्यार की जुदाई में ही गुज़र जाएगी
ओ मेरी महबूबा, महबूबा, महबूबा
तुझे जाना है तो जा, तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
तेरी चाहत मेरा चैन चुराएगी
लेकिन तुझको भी तो नींद ना आएगी
मैं तो मर जाऊँगा लेकर नाम तेरा
नाम मगर कर जाऊँगा बदनाम तेरा
तौबा-तौबा फिर क्या होगा
कि याद मेरी दिल तेरा तड़पाएगी
मेरे जाते ही तेरे आने की ख़बर आएगी
ओ मेरी महबूबा, महबूबा, महबूबा
तुझे जाना है तो जा, तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
दीवाना मस्ताना मौसम आया है
ऐसे में तूने दिल को धड़काया है
माना अपनी जगह पे तू भी क़ातिल है
पर यारों से तेरा बचना मुश्किल है
तौबा-तौबा फिर क्या होगा
फिर प्यार में नज़र जब टकराएगी
तड़पती हुई मेरी जान तू नज़र आएगी
ओ मेरी महबूबा, महबूबा, महबूबा
तुझे जाना है तो जा, तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
पर देख तू जो रूठ कर चली जाएगी
तेरे साथ ही मेरे मरने की ख़बर आएगी
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O Meri mehbooba-Dhartam Veer 1977
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