May 16, 2015

ये जीवन है इस जीवन का-पिया का घर १९७२

फिलोसॉफी और प्रेम की मिलावट वाला एक गीत प्रस्तुत है
आपके लिए फिल्म पिया का घर से. दोनों तत्व ज़रूरी हैं
जीवन के लिए. प्रेम सबसे पहले तो अपने आप से करो, तब
दूसरों से करने लायक बनोगे. अपने आप की कद्र करो, तब
दूसरों की करोगे.

बदलाव समय की मांग है, उसे स्वीकारो. देखने का नजरिया
बदलो. इन्द्रधनुष के सभी रंगो का आनंद लो. शायद यही
कुछ कहता सा सुनाई देता है गीत. इम्तेहान के गीत “ये
जीवन है” और इस गीत को साथ साथ सुन लो, दवाई के
साथ विटामिन की खुराक पूरी हो जायेगी. चाऊमिन शब्द
जब मैंने पहली बार सुना था तो कसम से मुझे ऐसा लगा
था जैसे विटामिन का कोई भाई आ गया हो.  





गीत के बोल:

ये जीवन है, इस जीवन का
यही है, यही है, यही है रंगरूप
थोड़े ग़म हैं, थोड़ी खुशियाँ
यही है, यही है, यही है छाँव धूप

ये ना सोचो, इसमें अपनी, हार है के जीत है
उसे अपना लो जो भी, जीवन की रीत है
ये जिद छोड़ो, यूं ना तोड़ो, हर पल इक दर्पण है
ये जीवन है, इस जीवन का...

धन से ना दुनिया से, घर से ना द्वार से
साँसों की डोर बंधी है, प्रीतम के प्यार से
दुनिया छूटे, पर ना टूटे, ये कैसा बंधन है

ये जीवन है, इस जीवन का
यही है, यही है, यही है रंगरूप
थोड़े ग़म हैं, थोड़ी खुशियाँ
यही है, यही है, यही है छाँव धूप
……………………………………….
Ye jeevan hai-Piya ka ghar 1972

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