फिर किसी शाख ने-लिबास १९८८
मधुर गीत सुनते हैं लता मंगेशकर का गाया हुआ. गीत गुलज़ार
ने लिखा है. हम आपको पूर्व में सीली-गीली थीम वाले कई गीत
सुनवा चुके हैं. इस गीत के संगीतकार हैं आर डी बर्मन. सीली
सीली हवा वाला गीत आप सुन चुके हैं, ये है फिल्म से ही लता
का गाया हुआ दूसरा गीत.
भाषा में मात्रा की गलतियों से कभी कभी अर्थ अलग हो जाता
है. इस गीत के बोल कहीं कहीं लिखे मिलते हैं-सिली हवा छू
गयी. डोंट बी सिली. सीली को सिली(silly) बना देने पर आप
ही बतलाइए क्या मतलब हो जायेगा गीत का. एक और जगह
पर मैंने पढ़ा-गिला चाँद. गिला और गीला शब्द दोनों के अर्थ
अलग हैं.
गीत के बोल:
फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव
फिर किसी शाख ने हाथ हिलाया
फिर किसी मोड से उलझे पाँव
फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव
फिर किसी शाख ने हाथ हिलाया
फिर किसी मोड से उलझे पाँव
फिर किसी मोड से उलझे पाँव
फिर किसी राह ने पास बुलाया
फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव
फिर किसी शाख ने हाथ हिलाया
लब पे आता नहीं था नाम उनका
लब पे आता नहीं था नाम उनका
आज आया तो बार बार आया
बेवजह बेकरार रहते थे
बेवजह आज फिर करार आया
हो हो हो
फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव
फिर किसी शाख ने टांग हिलाया
हम तो भूले हुए थे दिल को मगर
हम तो भूले हुए थे दिल को मगर
दिल ने क्यूँ आज हमको याद किया
क्यूँ कुरेदा पुराना ज़ख्म उसने
क्यूँ किसी भूले गम को याद किया
हो हो हो
फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव
फिर किसी शाख ने हाथ हिलाया
फिर किसी मोड से उलझे पाँव
फिर किसी राह ने पास बुलाया
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Phir kisi shaakh ne-Libas 1988
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