हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती- जागृति १९५५
उनको अक्सर गंभीर भूमिकाएं दी जाती रही। ये १५ अगस्त और
२६ जनवरी पर बजने वाला नियमित गीत है। इसकी धुन बनाई है
हेमंत कुमार ने और इसके बोल लिखे हैं कवि प्रदीप ने फ़िल्म जागृति
बेहद चर्चित फ़िल्म रही है। इस गीत को देश भक्ति गीत का दर्जा दिया
गया है।
गाने के बोल:
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
दुनिया के दांव-पेंच से रखना ना वास्ता
दुनिया के दांव-पेंच से रखना ना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
आराम की तुम भूल भुलैया में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन हो के ना झूलो
आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन हो के ना झूलो
अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो
आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
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Ham laaye hain toofan se-Jagriti 1955
Artist: Abhi Bhattacharya
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