रहें ना रहें हम, महका करेंगे-ममता १९६६
ग्रुप में। एक बार फिर वही घिसा पिटा राग गा लिया जाए। इस गीत
की धुन, जैसा कि सयाने संगीत प्रेमी बताते हैं, एस डी बर्मन के १९५१
की फ़िल्म 'नौजवान' के गीत-ठंडी हवाएं से मिलती है. दोनों ही गीत
आला दर्जे के शायरों ने लिखे हैं इसलिए सब चलेगा। धुनें भी दो
बढ़िया संगीतकारों ने बनाई हैं। दोनों ही गीत लता मंगेशकर ने गाये
हैं और दोनों ही उनके बेहद लोकप्रिय गीत हैं।
ममता फ़िल्म का ये गीत परदे पर गा रही हैं -सुचित्रा सेन साथ में
अशोक कुमार टहलते नज़र आ रहे हैं। इस फ़िल्म के लिए गीतकार
मजरूह सुल्तानपुरी ने परिपक्व किस्म के गीत लिखे हैं जिन्हें
समझने के लिए आपको साहित्य की अच्छी पकड़ की आवश्यकता
है। धुनें मधुर हैं अतः इनको सरसरी तौर पर भी सुना जा सकता है।
गूढ़ अर्थ पाने के लिए आपको एक डुबकी लगा के थाह लेनी पड़ेगी।
गाने के बोल:
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में
रहें ना रहें हम
मौसम कोई हो, इस चमन में
रंग बन के रहेंगे हम खिरामा
चाहत की खुशबू, यूँ ही ज़ुल्फ़ों
से उड़ेगी, खिज़ायों या बहारां
यूँ ही झूमते, यूँ हीँ झूमते और
खिलते रहेंगे, बन के कली, बन के सबा
बाग़ें वफ़ा में
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में
जब हम न होंगे तब हमारी
खाक पे तुम रुकोगे चलते चलते
अश्कों से भीगी, चांदनी में
इक सदा सी सुनोगे, चलते चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम
तुमसे मिलेंगे, बन के कली बन के सबा
बाग़े वफ़ा में
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में
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Rahen na rahen hum-Mamta 1966
Artist: Suchitra Sen,
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