दिल ढूंढता है सहारे सहारे -काला आदमी १९६०
नहीं प्राप्त होती, ये भी ऐसी ही एक फ़िल्म है। फ़िल्म का नाम
है काला आदमी । ये गीत काफ़ी बजा है रेडियो पर। मुकेश के
बेहतर गीतों में गिन सकते हैं आप इसको। हसरत जयपुरी के
बोलों को धुन में बाँधा है दत्ताराम ने। ये एक बढ़िया दर्द भरा गीत
है ।
फ़िल्म में अशोक कुमार ने काला आदमी की भूमिका निभाई है
और इस विडियो में वे कुछ काला चश्मा पहने थोड़े काले भी
नज़र आ रहे हैं। फ़िल्म दुर्लभ है, अगर आपको देखने को मिल
जाए तो अपने आप को खुशकिस्मत समझिये।
गीत के बोल:
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
लुटे दिल के अरमान बुझे नैन तारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
ये क्या दौर आया लो बदली बहारें
हुए गैर वो भी किसे हम पुकारें
ये क्या दौर आया लो बदली बहारें
हुए गैर वो भी किसे हम पुकारें
जो कहे थे हमसे के हम हैं तुम्हारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
वफ़ा इस जहाँ में कहीं भी न पाई
हुयी दूर मंजिल घटा ग़म की छाई
वफ़ा इस जहाँ में कहीं भी न पाई
हुयी दूर मंजिल घटा ग़म की छाई
हैं काजल से काले अज़ब दिन हमारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
बनी मेरे दिल पर ये तस्वीर तेरी
तुझे फिर न पाया ये तकदीर मेरी
बनी मेरे दिल पर ये तस्वीर तेरी
तुझे फिर न पाया ये तकदीर मेरी
नहीं कोई अपना रहे बेसहारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
लुटे दिल के अरमान बुझे नैन तारे
दिल ढूंढता है सहारे सहारे
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Dil dhoondhta hai sahare sahare-Kaala Aadmi 1960
Artist: Ashok Kumar
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