माना जनाब ने पुकारा नहीं-पेइंग गेस्ट १९५७
नायकों को देखा होगा। फिल्म में नायक एक फटीचर सा वकील
है जो नायिका के यहाँ बतौर पेईंग गेस्ट रह रहा है और किराया देने
में भी असमर्थ है। उसकी एक अहम् उपलब्धि है नायिका से इश्क
फरमाना।
शेरवानी पहने हुए नायक नवाबी दौर के मजनू सा नायिका के
इर्द गिर्द मंडराते हुए एक मधुर गीत गा रहा है । गाना रोचक है और
बार बार देखने योग्य है। कलाकार हैं नूतन और देव आनंद। मजरूह
के लिखे, एस डी बर्मन के संगीतबद्ध किये बोलों को गा रहे हैं किशोर
कुमार।
गाने के बोल:
माना जनाब ने पुकारा नहीं
क्या मेरा साथ भी गवारा नहीं
मुफ़्त में बन के, चल दिये तनके,
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं
माना जनाब ने पुकारा नहीं
क्या मेरा साथ भी गवारा नहीं
मुफ़्त में बन के, चल दिये तनके,
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं
माना जनाब ने पुकारा नहीं
यारों का चलन है गुलामी
देतें हैं हसीनों को सलामी
यारों का चलन है गुलामी
देतें हैं हसीनों को सलामी
गुस्सा ना कीजिये जाने भी दीजिये
बन्दगी तो बन्दगी तो लीजिये साहब
माना जनाब ने पुकारा नहीं
टूटा फूटा दिल ये हमारा,
जैसा भी है अब है तुम्हारा
टूटा फूटा दिल ये हमारा,
जैसा भी है अब है तुम्हारा
इधर देखिये, नज़र फेरिये
दिल्लगी ना दिल्लगी ना कीजिये साहब
माना जनाब ने पुकारा नहीं
माशा अल्ला कहना तो माना
बन गया बिगड़ा ज़माना
माशा अल्ला कहना तो माना
बन गया बिगड़ा ज़माना
तुमको हँसा दिया, प्यार सिखा दिया
तुमको हँसा दिया, प्यार सिखा दिया
शुक्रिया तो शुक्रिया तो कीजिये साहब
माना जनाब ने पुकारा नहीं,
क्या मेरा साथ भी गवारा नहीं
मुफ़्त में बन के, चल दिये तनके,
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं हाय
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं हाय
वल्ला जवाब तुम्हारा नहीं हाय
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Mana janaab ne pukar nahin-Paying Guest 1957
Artists: Dev Anand, Nutan
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