पहरा है यहाँ पहरा-बदनाम १९७५
संगीत दिया उसमे से एक है बदनाम। इस फ़िल्म का ज्यादा नाम न
हुआ ।
ये गीत जयश्री टी पर फिल्माया गया है। हेलेन के बाद की पीड़ी में
जयश्री टी एक अच्छी नर्तकी हैं। कैबरे नृत्य उनके हिस्से में बहुत
आया। इस गीत की धुन ज्यादा आकर्षक नहीं है इसके विडियो से।
नर्तकी की वेशभूषा १९७५ के हिसाब से काफ़ी आधुनिक है और
वस्त्र उद्योग में मंदी की सूचक भी। गीत के बोल असद भोपाली ने
लिखे हैं।
गीत के बोल:
रुक जा
पहरा, है यहाँ पहरा
पहरा है यहाँ पहरा
हम से न छुपा यूँ चेहरा
हम रोके राहें तू फैला बाहें
प्यार हो गहरा
पहरा है यहाँ पहरा
तेरी नज़र पे तो मरते हैं हम
आ हा, हो, हो
तेरी नज़र पे तो मरते हैं हम
तेरी नज़र ही से डरते हैं हम
रात है यहाँ तन्हाई है
रूप है जवां अंगडाई है
अरे, अब तो गले से लगा
पहरा है यहाँ पहरा
हम से न छुपा यूँ चेहरा
हम रोके राहें तू फैला बाहें
प्यार हो गहरा
पहरा है यहाँ पहरा
अरे अरे अरे अरे अरे अरे, रुक जाना
आँखें दिखा चाहे दामन छुडा
आहा, ओ हो
आँखें दिखा चाहे दामन छुडा
दिल की बातों की हँसी चाहे उड़ा
रूठ जा चाहे तकरार कर
कुछ भी हो हमें तू प्यार कर
अरे दिल ही तो है आ गया
पहरा है यहाँ पहरा
हम से न छुपा हाँ चेहरा
हम रोके राहें तू फैला बाहें
प्यार हो गहरा
पहरा है यहाँ पहरा
..................................................................
Pehra hai yahan pehra-Badnaam 1975
Artist: Jayshri T
0 comments:
Post a Comment