रेखा ओ रेखा -अधिकार १९७१
होगा। फिल्मों में उनकी उपस्थिति दर्शकों को याद हो या नहीं, उनका
बुद्धू बक्से(टी वी) के कार्यक्रमों से अच्छा नाता रहा और वे रेडियो और
टी वी के लिए ही ज्यादा पहचानी गईं।
इधर वो एक हास्य कलाकार ब्रह्मचारी के साथ गीत गा रही हैं। जब तक
ये गीत नहीं देखा था मुझे लगता रहा की अभिनेत्री रेखा ने इस फिल्म में
कोई विशेष भूमिका निभाई होगी। इसको यू ट्यूब का अपलोडर टपोरी
गाना कह रहा है, सही भी है। उन टपोरी बन्धु को गाने के लिए हार्दिक
धन्यवाद्। अब टपोरी को टपोरी नहीं कहंगे तो क्या छिछोरा कहेंगे ?
रफ़ी के गाये गीत की धुन बनाई है आर डी बर्मन ने जिसके बोल लिखे हैं
रमेश पन्त ने।
गीत के बोल:
रेखा ओ रेखा, जब से तुम्हें देखा
रेखा ओ रेखा, जब से तुम्हें देखा
खाना पीना सोना, दुश्वार हो गया
मैं आदमी था काम का, बेकार हो गया
है, रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
खाना पीना सोना दुश्वार हो गया
मैं आदमी था काम का बेकार हो गया
तुमसे दिल क्या लगाया है
तुमको कातिल बनाया है
अरे, तुमसे दिल क्या लगाया है
तुमको कातिल बनाया है
दिन रात जलाती हो ,दीवाना बनती हो
दिन रात जलाती हो ,दीवाना बनती हो
अरे मेरा भी एक दीं ज़रूर आएगा
होए होए होए, रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
खाना पीना सोना दुश्वार हो गया
मैं आदमी था काम का बेकार हो गया
काफी महंगा ये प्यार है
शादी का इंतजार है
अरे, काफी महंगा ये प्यार है
शादी का इंतजार है
मालिक पे भरोसा है मैंने तो ये सोचा है
मालिक पे भरोसा है मैंने तो ये सोचा है
अरे मेहनत जो की है तो फल भी मिलेगा
होए होए होए, रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
खाना पना सोना दुश्वार हो गया
मैं आदमी था काम का बेकार हो गया
हाय, रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
रेखा ओ रेखा जब से तुम्हें देखा
खाना पना सोना दुश्वार हो गया
मैं आदमी था काम का बेकार हो गया
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Rekha o Rekha jabse tumhen dekha-Adhikar 1971
Artists: Tabassum, Brahmachari
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