माना मेरे हसीन सनम-ऐडवेंचर्स ऑफ़ रॉबिनहुड १९६५
जमाल गोटा खा के होंठ हिला रहे हों। थके थके से लगते ये हीरो हीरोईन
गाने का सारा मूड बिगाड़ देते हैं । ऐसा कहना है कुछ तथाकथित महान
संगीत प्रेमियों का।
सवाल उठता है कि बी ग्रेड और सी ग्रेड फिल्मों के हीरो बढ़िया अभिनय
नहीं किया करते थे। बात तो ये भी है कि अगर फिल्म बी या सी ग्रेड होगी
तो उसमे निर्देशक, निर्माता और बाकी का सामान भी वैसा ही होगा। जरूरी
नहीं है ये थ्योरी सभी फिल्मों पर लागू हो ।
सबका अपना अपना अभिव्यक्ति और अभिनय का तरीका है और सीमायें
हैं। सस्ते में तो सस्ता माल ही मिलेगा ना। दीजिये उन गरीब कलाकारों
को भी मुंह मांगी रकम और वे शीर्षासन करते हुआ गाना गायेंगे। अब
आप फिल्म बना रहे हैं विदेशी चरित्र पर और नायक से भरत नाट्यम और
कत्थकली की उम्मीद रख रहे हैं। हिंदी संस्करण का ये अर्थ तो नहीं कि
सुपर मेन का चरित्र ढाबे पर लस्सी पीता या होटल पर भजिये चबाता
दिखाई दे।
ये गीत है फिल्म- 'ऐडवेंचर्स ऑफ़ रॉबिनहुड' से । गीत गाया है रफ़ी ने
और मोहक धुन बनायीं है जी एस कोहली ने। जी हैं, ये वही कोहली हैं जो
ओ पी नैयर के सहायक रह चुके हैं। परदे पर प्रशांत और परवीन चौधरी
नाम के नायक नायिका दिखाई दे रहे हैं। प्रशांत, जिन्होंने फिल्म सेहरा में
काम किया है और परवीन चौधरी ने सस्पेंस फिल्म 'वो कौन थी' में
"शोख नज़र की बिजलियाँ " गीत परदे पर गाया है। गीत लिखा है योगेश ने
और ये फिल्म आई थी सन १९६८ में।
गीत के बोल:
माना मेरे हसीन सनम
तू रश्क-ए-माहताब है
पर तू है लाजवाब तो
मेरा कहाँ जवाब है
माना मेरे हसीन सनम
तू रश्क-इ-माहताब है
पर तू है लाजवाब तो
मेरा कहाँ जवाब है
माना मेरे हसीन सनम
हैरत से यूँ ना देखिये
ज़र्रा हुआ तो क्या हुआ
हैरत से यूँ ना देखिये
ज़र्रा हुआ तो क्या हुआ
ज़र्रा हुआ तो क्या हुआ
अपनी जगह पे जानेमन
ज़र्रा भी आफ़ताब है
पर तू है लाजवाब तो
मेरा कहाँ जवाब है
माना मेरे हसीन सनम
तेरे शबाब का सुरूर
छाया जो दोनों जहाँ पर
तेरे शबाब का सुरूर
छाया जो दोनों जहाँ पर
छाया जो दोनों जहाँ पर
मेरी निगाह-ए-शौक से
आया ये इन्कलाब है
पर तू है लाजवाब तो
मेरा कहाँ जवाब है
माना मेरे हसीन सनम
तू रश्क-ए-माहताब है
पर तू है लाजवाब तो
मेरा कहाँ जवाब है
माना मेरे हसीन सनम
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Maana mere haseen sanam-Adventures of Robin Hood 1965
Artists: Prashant, Parveen Chaudhary
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