रहा गर्दिशों में हरदम-दो बदन १९६६
मुझे बहुत पसंद है और इससे सम्बंधित तथ्य जैसे इसके गायक,
गीतकार और संगीतकार के नाम मुझे याद हो गए जब इसको दूसरी
बार सुना था। हुआ यूँ कि एक बार एक साथ पढने वाले छात्र ने इस
बात पर बहस करी कि ये गीत मुकेश का गाया हुआ है। वो लड़का
मुकेश के गाने ही गाया करता क्यूंकि उसको नजले जुकाम की
शिकायत प्रायः बनी रहती। ये बहस २ ३ बार हुई फिर एक दिन मेरा
दिमाग कौंधा ।
मुझे कहावतें शुरू से पसंद हैं और एक कहावत "भैंस के आगे बीन
बजाये, भैंस खड़ी पगुराए " तुरंत ही दिमाग में आई। तू बड़ा तेरी बड़ी
वाले अंदाज़ में हमने उनको कोहनी तक हाथ जोड़कर नमस्कार किया
और माफ़ी मांगी-प्रभु गलती हो गयी, ये गीत जिसका नाम आप लें
उसी का गाया हुआ होगा।
रफ़ी का गाया ये गीत लिखा है शकील बदायूनी ने और इसके संगीतकार
हैं रवि। फिल्म दो बदन के गीत हिट गीतों की श्रेणी में आते हैं और ये
गीत विशेषकर फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम में खूब बजा करता था।
गीत के बोल:
रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क का सितारा
रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क का सितारा
कभी डगमगाई कश्ती, कभी खो गया किनारा
रहा गर्दिशों में हरदम
कोई दिल के खेल देखे, के मोहब्बतों की बाज़ी
कोई दिल के खेल देखे, के मोहब्बतों की बाज़ी
वो क़दम क़दम पे जीते, मैं क़दम क़दम पे हारा
रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क का सितारा
रहा गर्दिशों में हरदम
ये हमारी बदनसीबी, जो नहीं तो और क्या है
ये हमारी बदनसीबी, जो नहीं तो और क्या है
ये हमारी बदनसीबी, जो नहीं तो और क्या है
के उसी के हो गए हम, जो ना हो सका हमारा
रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क का सितारा
रहा गर्दिशों में हरदम
पड़े जब ग़मों से पाले, रहे मिट के मिटनेवाले
पड़े जब ग़मों से पाले, रहे मिट के मिटनेवाले
जिसे मौत ने ना पूछा, उसे ज़िन्दगी ने मारा
रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क का सितारा
कभी डगमगाई कश्ती, कभी खो गया किनारा
रहा गर्दिशों में हरदम
.......................................................................................
Raha gardishon mein har dam-Do badan 1966
Artists: Asha Parekh, Simi Grewal, Manoj Kumar
1 comments:
धाँसू आइडिया. मैं भी गाऊंगा.
Post a Comment