ये बहारों का समा-मिलाप १९५५
हेमंत कुमार का गाया हुआ है। गीत लता की आवाज़ में भी
उपलब्ध है। इस गीत में एक शब्द है जिसका अर्थ शायद आप
जानना चाहें-नागहाँ , इसका अर्थ है-अचानक। फिल्म मिलाप
सन १९५५ की हिंदी फिल्म है। साहिर लुधियानवी ने गीत लिखा
है और इसमें ज्यादा कठिन शब्द उन्होंने नहीं डाले हैं। देव आनंद
इस गीत को परे पर गाते हैं। विडियो उपलब्ध नहीं है अतः ऑडियो
से ही आनंद उठायें।
गीत के बोल:
ये बहारों का समा
चाँद तारों का समा
खो ना जाये , आ भी जा
ये बहारों का समा
जिन्दगानी दर्द बन जाए
कहीं ऐसा ना हो
जिन्दगानी दर्द बन जाए
कहीं ऐसा ना हो
सांस आहें सर्द बन जाये
कहीं ऐसा ना हो
दिल तड़प कर नागहाँ,
सो ना जाए आ भी जा
ये बहारों का समा
चाँद तारों का समा
खो ना जाये, आ भी जा
ये बहारों का समा
क्या हुआ क्यों इस तरह तूने,
निगाहें फेर ली
क्या हुआ क्यों इस तरह तूने,
निगाहें फेर ली
मेरी राहों की तरफ से,
अपनी राहें फेर ली
ज़िन्दगी का कारवां,
खो ना जाए आ भी जा
ये बहारों का समा
चाँद तारों का समा
खो ना जाये, आ भी जा
ये बहारों का समा
......................................................................
Ye baharon ka sama(Hemant Kumar)-Milap 1955
Artist: Dev Anand
0 comments:
Post a Comment