इस इश्क मोहब्बत की-ज़ुल्म की पुकार १९७९
ज़ुल्म की पुकार भी एक ऐसा ही नाम है। इसमे सोनिक ओमी
का संगीत है। गायक हैं मोहम्मद रफी और चंद्राणी मुखर्जी ।
इस गाने के सिवा इस फ़िल्म का क्या तारीफ-ए-काबिल है
इसकी जानकारी मुझे नहीं है . इसका विडियो उपलब्ध नहीं था
यू - ट्यूब पर । ये एक स्लाइड शो है। ये गाना अपने ज़माने में
रेडियो पर खूब बजा करता था। प्रचलित गीत है इसलिए आपको
सुनवाया जा रहा है.
नोट: वीडियो दिखलाई देने लगा है कुछ समय से.
गीत के बोल:
इस इश्क मोहब्बत की कुछ हैं अजीब रस्में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें
न ये तेरे बस में, न ये मेरे बस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें
कभी इंतज़ार करते, बरसात की रातों में
कभी रात गुजार जाए, बातों ही बातों में
इक दर्द मचलता है इस दिल की नस नस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें
गर हमको जुदा कर दे, एक बार जहाँ के सितम
हर बार जनम ले कर, हर बार मिलेंगे हम
यूँ अहदे वफ़ा कर लें, आ मिलकर आपस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें
मैं तेरी मोहब्बत में, हर रस्म निभा दूंगा
अपनी नींदें दे कर, तेरे ख्वाब सजा दूंगा
ऐसा ही होता है, जब दिल न रहा बस में
कभी जीने के वादे, कभी मरने की कसमें
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Is ishq mohabbat ki-Zulm ki pukar 1979
Artists: Parikshit Sahni, Ranjeeta
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