Apr 27, 2009

जलते हैं जिसके लिये-सुजाता १९५९

फिल्म का हीरो टेलीफोन पर गीत सुना रहा है। टेलीफोन
के सदुपयोग का ये तरीका प्रेमियों को बहुत बहुत भाया।
हर प्रेमी गा उठा-"गीत नाज़ुक है मेरा शीशे से भी टूटे न कहीं"
अब तो टेलीफोन पर अचार मुरब्बे बनाने की विधियाँ भी
विस्तार से सुनाई जाती हैं।

तलत महमूद का ये सुमधुर गीत बहुत घिसा हुआ अर्थात बजा
हुआ गीत है। इस गीत से अभिनेता सुनील दत्त(जिनके ऊपर ये
फिल्माया गया है) को फ़ायदा हुआ हो या नहीं, तलत को ज़रूर
प्रसिद्धि की नई सीढ़ी मिली। गीत मजरूह का लिखा हुआ है
और धुन है एस डी बर्मन की। इस गीत में अभिनेत्री नूतन ने
सुनील दत्त के हिस्से की एक्टिंग भी कर ली है और इस विडियो
में प्राण डाल दिए हैं।



गाने के बोल:

जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये
ढूँढ लाया हूँ वही, गीत मैं तेरे लिये

जलते हैं जिसके लिये
जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये
ढूँढ लाया हूँ वही, गीत मैं तेरे लिये

दर्द बन के जो मेरे दिल में रहा ढल ना सका
जादू बन के तेरी आँखों में रुका चल ना सका
दर्द बन के जो मेरे दिल में रहा ढल ना सका
जादू बन के तेरी आँखों में रुका चल ना सका
आज लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिये

जलते हैं जिसके लिये

दिल में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे न कहीं
गीत नाज़ुक है मेरा शीशे से भी टूटे न कहीं
दिल में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे न कहीं
गीत नाज़ुक है मेरा शीशे से भी टूटे न कहीं
गुनगुनाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये

जलते हैं जिसके लिये

जब तलक ना ये तेरे रस के भरे होंठों से मिले
यूँ ही आवारा फिरेगा ये तेरी ज़ुल्फ़ों के तले
जब तलक ना ये तेरे रस के भरे होंठों से मिले
यूँ ही आवारा फिरेगा ये तेरी ज़ुल्फ़ों के तले
गाये जाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये

जलते हैं जिसके लिये
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Jalte hain jiske liye-Sujata 1959

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