Apr 13, 2009

ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल-आरजू १९५०

दिलीप कुमार की शुरूआती फिल्मों में उनको तलत महमूद की
कशिश भरी आवाज़ में कुछ गीत मिले। ये एक प्रसिद्ध गीत
है फ़िल्म आरजू से। मजरूह ने बोल लिखे हैं और धुन बनाई है
अनिल बिश्वास ने। दिलीप कुमार की ट्रेजेडी किंग की छबि बनाने
में ऐसे गीतों का योगदान ज़रूर रहा है। फ़िल्म सन १९५० की एक
चर्चित फ़िल्म है और इसमे दिलीप कुमार के साथ नायिका हैं
कामिनी कौशल। गीत दमदार है और इसे सदा जवान गीतों के
रसिक बड़े आदर के साथ सुनते हैं आज भी.

अनिल बिश्वास का संगीत फिल्म संगीत के टेक्स्ट बुक की तरह है.
उनका संगीत आप पूरा सुन लें तो आपको सहज ही ये आभास हो
जायेगा कि जितने भी रंग फ़िल्मी गीतों में संभव हैं उन्होंने बहुत
पहले बतला दिए थे संगीत प्रेमियों को.



गाने के बोल:

ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो
अपना पराया मेहरबां ना-मेहरबां कोई न हो
ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल

जा कर कहीं खो जाऊँ मैं, नींद आए और सो जाऊँ मैं
नींद आए और सो जाऊँ मैं
दुनिया मुझे ढूँढे मगर मेरा निशां कोई न हो
दुनिया मुझे ढूँढे मगर मेरा निशां कोई न हो

उल्फ़त का बदला मिल गया, वो ग़म लुटा वो दिल गया
वो ग़म लुटा वो दिल गया
चलना है सब से दूर दूर अब कारवां कोई न हो
चलना है सब से दूर दूर अब कारवां कोई न हो

अपना पराया मेहरबां ना-मेहरबां कोई न हो
ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो
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Ae dil mujhe aisi jagah le chal-Arzoo 1950

Artist: Dilip Kumar

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