Apr 12, 2009

मेरा कुछ सामान-इजाज़त १९८७

संगीतकार राहुल देव बर्मन ने कुछ असंभव से लगने वाले
गाने के मीटर बनाये उसमे थोड़ा सरल गीत था किनारा का
"एक ही ख्वाब" । गुलज़ार ने उनको एक और दिमागी कसरत
का सामान मुहैया कराया फ़िल्म इज़ाज़त के लिए।

इसको देख के सबसे पहली प्रतिक्रिया बर्मन की थी-कल को
तुम टाईम्स ऑफ़ इंडिया अखबार ला के उसकी हेडलाइन को
गाने की शकल में ढालने की बात करोगे। एक सौ सोलह चाँद
की रातें...... और तुम्हारे काँधे का तिल .... ।

अनुराधा पटेल एक प्रतिभाशाली और संवेदनशील अभिनेत्री हैं
जो कुछ फिल्मों के बाद फ़िल्म जगत से गायब हो गयीं। मेरी
मित्र मण्डली में कोई भी ऐसा नहीं जिसको ये फ़िल्म न पसंद
आई हो। कुछ मित्र ऐसे हैं जिन्होंने ये फिल्म देखी ही नहीं।



गाने के बोल:

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
ओ ओ ओ ! सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं
और मेरे एक खत में लिपटी रात पड़ी है
वो रात भुला दो, मेरा वो सामान लौटा दो
वो रात भुला दो, मेरा वो सामान लौटा दो

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
पतझड़ है कुछ ... है ना ?
ओ ! पतझड़ में कुछ पत्तों के गिरने की आहट
कानों में एक बार पहन के लौट आई थी
पतझड़ की वो शाख अभी तक कांप रही है
वो शाख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
वो शाख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

एक अकेली छतरी में जब आधे आधे भीग रहे थे
एक अकेली छतरी में जब आधे आधे भीग रहे थे
आधे सूखे आधे गीले, सूखा तो मैं ले आयी थी
गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो !
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक सौ सोलह चांद कि रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल
एक सौ सोलह चांद कि रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल
गीली मेंहदी की खुशबू, झूठ-मूठ के शिकवे कुछ
झूठ-मूठ के वादे सब याद करा दूँ
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफ़नाऊँगी
मैं भी वहीं सो जाऊंगी
मैं भी वहीं सो जाऊंगी
........................................................................
Mera kuchh samaan-Ijazat 1987

Artist: Anuradha Patel

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