बैयाँ न धरो-दस्तक १९७०
बैयाँ शब्द वाले गाने मुझे थोड़े बहुत याद हैं-जैसे
छोडो छोड़ मोरी बैयाँ , बैयाँ न धरो, न जाओ सैयां छुड़ा के बैयाँ।
तीनो गीत अलग अलग गायिकाओं के हैं। इनमे से आज हम सुनेंगे
फ़िल्म दस्तक का लता मंगेशकर का गाया हुआ गीत
-बैयाँ न धरो, ओ बलमा । गीत मजरूह ने लिखा है और इसकी धुन बनाई है
मदन मोहन ने। ये गीत राग चारुकेशी पर आधारित है। संगीत के लिहाज से
मुझे ये पसंद है मगर बोलों के हिसाब से इसी फ़िल्म का दूसरा गीत
"हम हैं मता-ऐ-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह" ज्यादा भाता है। रेहाना सुल्तान
परदे पर आपको गीत पर होंठ हिलती दिखाई देंगी।
गीत के बोल:
बैयाँ न धरो ओ बलमा
बैयाँ न धरो ओ बलमा
न करो मोसे रा आ आ आ आ आर(रार)
बैयाँ न धरो ओ बलमा
ढलेगी चुनरिया, तन से
ढलेगी चुनरिया, तन से ... तन से ...तन से
आ आ आ...
ढलेगी चुनरिया, तन से
हँसेगी रे चूड़ियाँ छन से
हँसेगी रे चूड़ियाँ छन से ... छन से छन से
हँसेगी रे चूड़ियाँ छन से
मचेगी झनका आ आ आ आ आर (झंकार)
बैयाँ न धरो ... न धरो, न धरो ओ बलमा
मोहे छोड़ो हाय, सजना
मोहे छोड़ो हाय... मोहे छोड़ो
मोहे छोड़ो छोड़ो... सजना
मोहे छोड़ो हाय, सजना
जिया सीच उठाये ... सजना
जिया सीच उठाये ... उठाये सजना ...
जिया सीच उठाये सजना
रहा मोहे निहा आ आ आ आर(निहार)
बैयाँ न धरो ... न धरो, न धरो ओ बलमा
मैं तो आप बहकी
मैं तो आप बहकी, बहकी, बहकी, आ ... आ ... आ
मैं तो आप बहकी बहकी
चलूँ जैसे महकी महकी
चलूँ जैसे महकी ... महकी
चलूँ जैसे महकी
चमेलिया की डा आ आ आ आर(दार)
बैयाँ न धरो ... न धरो, न धरो ओ बलमा
बाई.नया न धरो, ओ बलमा
न करो मोसे रा आ आ आ आ र (रार)
बैयाँ न धरो ... न धरो, न धरो ओ बलमा
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