Oct 31, 2009

मैं हूँ बदनाम जुआरी-जुआरी १९६८

मैं एक बार जो फ़िल्म देख लेता हूँ उसका नाम, उसके हीरो
हीरोइन, संगीतकार वगैरह नाम मुझे याद रह जाते हैं। १९८२
में एशियाई खेलों के साथ दूरदर्शन का विस्तार हुआ। इसके
साथ साथ चलचित्र की मात्रा बढ़ गई दूरदर्शन पर। उस समय
सिनेमा हाल के अलावा ये प्रमुख साधन होता था कोई फ़िल्म
देखने का । इसी पर एक बार ये फ़िल्म आई।

शशि कपूर और नंदा अभिनीत इस फ़िल्म का ये शीर्षक गीत है।
इस फ़िल्म में २-३ सुनने लायक गीत हैं। गीत के बोल आनंद बक्षी
के हैं, ये शायद उनकी शुरुआती फिल्मों में से एक है। संगीतकार
जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल संग आनंद बक्षी का नाता सन १९७०
के बाद जुडा। गीत का संगीत तैयार किया है कल्याणजी आनंदजी
ने । फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोई झंडे नहीं गाड़े। जिन लोगों
की याददाश्त कमजोर है और जो लोग शशि कपूर को हल्का फुल्का
आंकते हैं उनकी जानकारी के लिए- शशि कपूर की एक हिट फ़िल्म-
हसीना मान जायेगी सन १९६९ में आई थी, एक और हिट फ़िल्म उसी
साल आई-कन्यादान। एक फ़िल्म १९६६ में आई थी जिसने ठीक ठाक
व्यवसाय किया वो थी-प्यार किए जा। अब शायद ये भी याद दिलाना
पड़ेगा की १९६५ की फ़िल्म 'जब जब फूल खिले' में भी यही जोड़ी थी
शशि कपूर और नंदा , संयोग से फ़िल्म के संगीतकार भी वही थे
-कल्याणजी आनंदजी। ये हो सकता है की १९६८ में श्वेत श्याम
फ़िल्म होने की वजह से जुआरी ना चली हो, या फ़िर फ़िल्म का
कथावस्तु लचर रहा हो। इसमे दूसरी सम्भावना ज्यादा है।

एक और बात पाठकों को बताना उचित होगा। इस गीत में भी
'सेक्सोफ़ोन' नाम का वाद्य बजा है जो कुछ विशेष संगीतकारों के
भक्तों को सुनाई नहीं दिया है अभी तक या वे सुन कर भी अनसुना
कर देते हैं।




गाने के बोल:

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी
मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

हर दांव ज़माना जीता,
हर बाज़ी मैंने हारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

ए दोस्त ये जान ले तू भी
जो कुछ मैंने जाना है

ए दोस्त ये जान ले तू भी
जो कुछ मैंने जाना है

ये ज़िन्दगी एक जुआ है
ये दुनिया जुआखाना है

ये तो है जुआ, ये किसका हुआ
जो तुझसे करेगा यारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

हर दांव ज़माना जीता,
हर बाज़ी मैंने हारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

मैं जीत सका ना तुमको
इस बात का इतना गम है

मैं जीत सका ना तुमको
इस बात का इतना ग़म है

इस ग़म से अगर घबरा के
मर जाऊं भी मैं तो कम है

मैं शाम ओ सेहर रोया हूँ मगर
बुझती नहीं है ये चिंगारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

हर दांव ज़माना जीता,
हर बाज़ी मैंने हारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

दौलत की तुझे हसरत थी
पर मैंने पेश किया दिल

दौलत की तुझे हसरत थी
पर मैंने पेश किया दिल

अच्छा ही किया ओ दिलवर
जो तूने बेच दिया दिल

उस प्रीत की क्या कीमत थी भला
जो मैंने तुझ पर वारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

हर दांव ज़माना जीता,
हर बाज़ी मैंने हारी

मैं हूँ बदनाम जुआरी
मैं हूँ नाकाम जुआरी

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