झूमे रे- एक गाँव की कहानी १९५७
घोडे और टाँगे की थाप वाले गीत ।
सलिल चौधरी ने भी बनाये हैं थोड़े से। अच्छे बनाये हैं।
ये गीत तलत महमूद द्वारा गया और उन्ही पर फिल्माया गया है।
बोल शैलेन्द्र के हैं और फ़िल्म का नाम है 'एक गाँव की कहानी'
तेज़ गीत है और थोड़ा अलग प्रकार का। मस्ती भरा गीत कह
सकते हैं इसको। सलिल चौधरी की खासियत थी की वे पाश्चात्य
संगीत और जटिल स्वर जाल का प्रयोग करके देसी धुन को और
भी चमकदार बना दिया करते थे। सम्मिश्रण इतना चतुराईपूर्ण
होता था की सुनने वाले को पता न चले की कब विलायती स्वर शुरू
हुआ कब देसी सुर ख़तम । ये एक ऐसा गीत है जिसको आप बिना
टिडिंग टुदुंग किए नहीं गुनगुना सकते। छोटे छोटे बोल वाले गीतों
के साथ अक्सर ऐसा होता है। याद कीजिये फ़िल्म आवारा का गीत -
आवारा हूँ ...... ।
गाने के बोल:
झूमे रे
नीला अम्बर झूमे
धरती को चूमे रे
तुझको याद करके
मेरा दिल भी झूमे
हं हं हं हा आ आ
झूमे रे
नीला अम्बर झूमे
धरती को चूमे रे
तुझको याद करके
मेरा दिल भी झूमे
हा हा हा हा आ आ.....
किसके इशारे मुझको यहाँ ले आए
किसके इशारे मुझको यहाँ ले आए
किसकी हँसी ने राह में फूल खिलाये
अम्बुआ की डाली डाली गाये कोयल सारी
अम्बुआ की डाली डाली गाये कोयल सारी
मेरा दिल भी झूमे
मेरा दिल भी झूमे
हा हा हा हा.........
ऐसे में जो मिलता बाहों का सहारा
ऐसे में जो मिलता बाहों को सहारा
और मचल उठता ये नदी किनारा
नदिया का पानी सुनता प्यार की कहानी
नदिया का पानी सुनता प्यार की कहानी
मेरा दिल भी झूमे
मेरा दिल भी झूमे
हा हा हा हा............
झूमे रे
नीला अम्बर झूमे
धरती को चूमे रे
तुझको याद करके
मेरा दिल भी झूमे
हा हा हा हा हूँ हूँ हूँ......
हो हो हो हो ..............
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