दो दिन की मोहब्बत में-छोटे बाबू १९५६
इस गीत को सुनकर पुराने गीतों के प्रेमी अपने पुराने
विविध भारती और आल इंडिया रेडियो के दिन जरूर याद
करेंगे। इस गीत के बारे में मुझे सन १९७५ तक बस इतना
मालूम था कि ये राजेंद्र कृष्ण ने लिखा है। इसकी फ़िल्म का नाम
और संगीतकार का नाम मुझे बाद में मालूम पड़ा। ये मदन मोहन
के सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक है। छोटे बाबू फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर
कोई करिश्मा नहीं किया। फ़िल्म और इसके विडियो उपलब्ध नहीं हैं।
ऑडियो सुनकर काम चलायें।
गाने के बोल
दो दिन की मोहब्बत में हमने
कुछ खोया है कुछ पाया है
दो ग़म के आंसू हम को मिले
जीने का चैन गंवाया है
दो दिन की मोहब्बत में हमने
अरमान हैं जो निकले ही नहीं
कुछ आंसू हैं जो बहे नहीं
कुछ ऐसे भी अफ़साने हैं
जो हम ने किसी से कहे नहीं
कुछ हँसी में बदले हैं आनू
और अपना दर्द छुपाया है
दो दिन की मुहब्बत में हमने
ए दिल तू हमें तड़पाता था
ले हम ने रुलाया है तुझ को
ए दिल कि लगी तू जलाती थी
ले हम ने जलाया है तुझ को
इस दर्द को वो जाने जिस ने
घर अपना कभी जलाया है
दो दिन कि मोहब्बत में हम ने
इस बात पे खुश है दीवाना
मेरे ज़ख्म किसी के काम आए
इस बात पे खुश है दीवाना
मेरे ज़ख्म किसी के काम आए
एक रोग नया हम ले बैठे
क्या जाने कब आराम आए
ए दिल इतना बेताब ना हो
जब ग़म को गले लगाया है
दो दिन कि मोहब्बत में हम ने
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