रात लगा के आई-हम हैं राही प्यार के १९६१
कम सुने हुए गीतों की बात की जाए फ़िर से एक बार।
ये गीत है फ़िल्म-'हम हैं राही प्यार के' से। आपने शायद
आमिर खान वाली "हम हैं राही प्यार के " के बारे में सुना होगा।
इस फ़िल्म के बारे में मैंने भी नहीं सुना था कुछ समय पहले तक।
ये गीत लिखा है राजा मेहँदी अली खान ने और संगीत है खय्याम का।
खय्याम के लिए राजा मेहँदी अली ने शायद केवल इसी फ़िल्म में
गीत लिखे हैं। राजा मेहँदी मदन मोहन के लिए ज्यादा गीत लिखते रहे।
'अलग हटके' उपमाएं पुराने गीतकार समय समय पर इस्तेमाल करते
रहे हैं मगर वाह-वाही गुलज़ार को ज्यादा मिली। इसको कहते हैं तकदीर
का खेल।
गाने के बोल:
रात लगा के आई चंदा की बिंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
रात लगा के आई चंदा की बिंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
प्यार में डूबी हुई ठंडी हवाएं
आग लगाये मेरे जी को जलाएं
प्यार में डूबी हुई ठंडी हवाएं
आग लगाये मेरे जी को जलाएं
जी को जलाएं
नेहा लगा के मैं तो हो गई बंवरिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
सीने में ले के आई अरमान हजारों
दिल में छुपा के लायी तूफ़ान हजारों
सीने में ले के आई अरमान हजारों
दिल में छुपा के लायी तूफ़ान हजारों
तूफ़ान हजारों
यूँही तडपाओगे क्या सारी उमरिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
होके हमारे पिया हमसे जुदा हो
बड़े संगदिल हो जी बड़े बेवफा हो
होके हमारे पिया हमसे जुदा हो
बड़े संगदिल हो जी बड़े बेवफा हो
बड़े बेवफा हो
तुमसे न बोलूंगी मैं जाओ संवरिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
रात लगा के आई चंदा की बिंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
ले गए तुम मेरी अंखियों की निंदिया
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