ओ गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हांक रे-मदर इंडिया १९५७
फ़िल्म हो या वास्तविक ग्रामीण परिदृश्य। शमशाद बेगम और रफ़ी
का गाया ये युगल गीत अक्सर सुनाई दे जाता था। इसके बोल ऐसे
याद हो गए जैसे १९ का पहाडा हो। शकील बदायूनी के लिखे बोलों
को सुरों में पिरोया है नौशाद ने।
इस गीत को सुन कर हमेशा लगता रहा की बैलगाड़ी का सफर बहुत
आनंददायक होता होगा। इस गीत में बैलगाड़ी की गति कुछ ज्यादा
दिखाई गई है, आम तौर पर बैल इतने तेज़ नहीं भागते हैं। शायद गाने
की ताल से मिल के उसकी गति तय की गई थी। इस फ़िल्म के एल पी
रिकॉर्ड बहुत बिके थे और तकरीबन सभी किस्म के संगीत प्रेमियों के
पास आपको ये देखने को मिल जायेंगे।
गाने के बोल:
कोरस : खट खुट करती छम छुम करती
गाड़ी हमरी जाये
फर फर भागे सबसे आगे
कोई पकड़ ना पाये
शमशाद : हो गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे
कोरस : गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे
शमशाद : जिया उड़ा जाए लड़े आँख रे
होय
कोरस : जिया उड़ा जाए लड़े आँख रे
होय
गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे
शमशाद : दिल खाये हिचकोले
गाड़ी ले चल हौले-हौले
कोरस : गाड़ी ले चल हौले-हौले
गाड़ी ले चल हौले-हौले
शमशाद : हो बिंदिया मोरी गिर-गिर जाये
नथनी हाले-डोले
कोरस : हो री नथनी हाले-डोले
रफ़ी : ओ देख नजर न लागे गोरी
काहे मुखड़ा खोले
कोरस : देख नजर न लागे रे गोरी
काहे मुखड़ा खोले
रफ़ी : ओ नैनों वाली घूँघट से
ना झाँक रे
होय
कोरस : गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे
कोरस : अर र र र र
हाय
शमशाद : मोरी लाल चुनरिया उड़ गई रे
मोरी कजरे की डिबिया गिर गई रे
हवा में उड़ गई मोरी चुनरिया
मिल गईं तोसे अखियाँ
कोरस : बलमा मिल गईं तोसे अखियाँ
बलमा मिल गईं तोसे अखियाँ
शमशाद : हो गोरा बदन मोरा थर-थर काँपे
धड़कन लागी छतिया
कोरस : रामा धड़कन लागी छतिया
रफ़ी : ओ अलबेली बीच डगरिया
ना कर ऐसी बतियाँ
कोरस : ओ अलबेली बीच डगरिया
ना कर ऐसी बतियाँ
रफ़ी : ओ सुनें सब लोगवा
कटे नाक रे
कोरस : गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे
कोरस : खट खुट करती छम छुम करती
गाड़ी हमरी जाये
फर फर भागे सबसे आगे
कोई पकड़ ना पाये
कोरस : ओ गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे
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O gaadi waale gaadi dheere haank re-Mother India 1957
Artists: Various
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