परदेसी पिया -परदेसी १९७०
७० के दशक तक आते आते सभी पुराने ज़माने के संगीतकार थोड़े
लाउड होते चले. लाउड न हुए तो उस समय के हिसाब से उन्होंने अपने
संगीत में थोड़े बदलाव किए. ये गीत फ़िल्म परदेसी से है जिसका
संगीत चित्रगुप्त ने तैयार किया है। इस गीत को परदेसी गीतों में
वो स्थान नहीं मिला जिसका ये हक़दार है।
आशा भोंसले और रफ़ी के गाये इस युगल गीत को मैंने बहुत सुना।
इस फ़िल्म को देखने का सौभाग्य नहीं मिला। यू ट्यूब की मेहेरबानी से
विडियो के दर्शन हो गए। विश्वजीत ७० के दशक में ढलान पर थे
और मुमताज़ अपने शिखर की ओर बढती हुई अभिनेत्री। १९६५ में आई
फ़िल्म मेरे सनम में भी मुमताज़ और विश्वजीत ने साथ काम किया था।
मुमताज़ सहायक अभिनेत्री थीं और फ़िल्म में आशा पारेख नायिका थी।
गीत के बोल:
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
मोरा जिया कहीं ले के चले जइयो तो न
अब जाना कहाँ री, अब जाना कहाँ
अब जाना कहाँ री, अब जाना कहाँ
वादा ले ले नहीं रहना गोरी तेरे बिना
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
तेरे पास आकर सैयां मेरा मन यूँ डोले
तेरे पास आकर सैयां मेरा मन यूँ डोले
कोई जैसे सपनों में चले नैना खोले
हो, इसी अदा पर तो मैंने दिल दे दिया
हाय दिल दे दिया
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
बसंती अंचल तेरा उड़े क्यूँ राहों में
बसंती अंचल तेरा उड़े क्यूँ राहों में
खिलाये जा फुलवारी मेरी इन बाहों में
हो, ये बैयाँ छुड़ा मत लेना ओ साजना
हाय ओ साजना
अब जाना कहाँ री, अब जाना कहाँ
अब जाना कहाँ री, अब जाना कहाँ
तू माथे की बिंदिया है तू ही कंगना मेरा
तू माथे की बिंदिया है तू ही कंगना मेरा
चुनरिया से बढ़ के है मुझे दमन तेरा
हो, ये दामन तो जीवन भर को उलझा लिया
हाय उलझा लिया
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
मोरा जिया कहीं ले के चले जइयो तो न
अब जाना कहाँ री, अब जाना कहाँ
वादा ले ले नहीं रहना गोरी तेरे बिना
परदेसी पिया हो परदेसी पिया
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