Feb 9, 2010

चली गोरी पी से मिलन को-एक ही रास्ता १९५६

हेमंत कुमार का गाया ये गीत अवश्य आपने रेडियो वगैरह पर सुना
होगा। मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी। लम्बी रौबदार मूँछोंवाला तबला
बजा रहा है। नाच रही हैं मीना कुमारी जो गदगद नज़र आ रही हैं
जैसी वे बाद के युग की दुखदायी फिल्मों में फिर कभी नहीं दिखाई दीं।
गायक स्वर हैं हेमंत कुमार का जिन्होंने गाने की धुन भी बनाई है फिल्म
एक ही रास्ता के लिए । नृत्य गुरु के निर्देशों पर नायिका नृत्य कर रही है।
गीत कुछ कुछ भजन जैसा सुनाई पढता है। गीत लिखा है मजरूह ने।



गीत के बोल:

चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली
नैना बावरिया मान में संवरिया

चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली
नैना बावरिया मान में संवरिया
चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली

दार के कजरा लट बिखरा के
दार के कजरा लट बिखरा के
ढलते दीं को रात बनाके
कंगना खनकती बिंदिया चमकती
कंगना खनकती बिंदिया चमकती
चम् चम् डोले सजना की गली
चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली
नैना बावरिया मान में संवरिया
चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली

कोमल तन है सांवल काया
हो गयी बैरन अपनी ही छाया
कोमल तन है सांवल काया
हो गयी बैरन अपनी ही छाया
घूंघट खोले ना मुख से बोले ना
घूंघट खोले ना मुख से बोले ना
राह चलत संभली संभली

चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली
नैना बावरिया मान में संवरिया

चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली

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