Feb 18, 2010

सपनों की सुहानी दुनिया-शिकस्त १९५३

आइये पुराने दौर की तरफ लौटा जाए तलत महमूद के एक गीत
को सुनने के लिए। तलत की मखमली आवाज़ और तानपुरे का
साथ आपको आनंदित कर देगा। शैलेन्द्र के बोलों को धुन प्रदान की
है शंकर जयकिशन की। गीत दिलीप कुमार पर फिल्माया गया है।




गीत का विडियो इधर देखा जा सकता है:

http://www.youtube.com/watch?v=H4yfSmBhWQU

गीत के बोल:

आ आ आ आ....आलाप

सपनों की सुहानी दुनिया को
आँखों में बसाना मुश्किल है
सपनों की सुहानी दुनिया को
आँखों में बसाना मुश्किल है
अपनों से जताना मुश्किल है
गैरों से छुपाना मुश्किल है

मेरा बचपन बीत चुका है
मेरा बचपन बीत चुका है
दिल का लड़कपन बाकी है
दिल का लड़कपन बाकी है
हाय बाकी है
मैं अपने आप को समझा लूं
पर दिल को मानना मुश्किल है

सपनों की सुहानी दुनिया को
आँखों में बसाना मुश्किल है
अपनों से जताना मुश्किल है
गैरों से छुपाना मुश्किल है

एहसान तेरा कैसे भूलूँ
एहसान तेरा कैसे भूलूँ
तेरे ग़म के सहारे जिंदा हूँ
वरना इन जाती सांसों का
फिर लौट के आना मुश्किल है

सपनों की सुहानी दुनिया को
आँखों में बसाना मुश्किल है

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