Feb 26, 2010

मेरी आँखों के उजाले-आबरू १९६८

गायक रफ़ी का गाया एक बहुत कम सुना गया गीत सुनिए।
सन १९६८ की फिल्म आबरू से ये गीत लिया गया है। मदन मोहन
के संगीत अंदाज़ से प्रेरित सा ये गीत सुनने लायक है जिसे लिखा
जी एल रावल ने और संगीतबद्ध किया है सोनिक ओमी ने।

सोनिक ओमी मदन मोहन के सहायक रहे हैं और उनके संगीत में
कहीं कहीं मदन मोहन प्रभाव सुनाई पढता है या यूँ कहिये कि
मदन मोहन की कुछ रचनाओं में भी सोनिक ओमी की छाप सुनाई
देती है। सहायकों को श्रेय नहीं मिला करता है। जब गीतकार और
संगीतकार को लोग नहीं पूछते तो साजिंदों और सहायकों की बात
करना तो कुछ विलक्षण सा प्रलाप कहा जायेगा। गायकों के आम
उचक-कूदे किस्म के भक्त सारा श्रेय गायकों को देने को आतुर रहते
हैं। नेट की दुनिया में बहुतेरे उचक-कूदे आपको मिल जायेंगे।




गीत के बोल:

मेरी आँखों के उजाले मेरी राहत मेरे भाई
मेरे भाई
मेरी आँखों के उजाले मेरी राहत मेरे भाई
मेरे भाई
मेरी उम्मीद के तारे मेरी किस्मत मेरे भाई
मेरे भाई

तड़प रही है मोहब्बत मेरी तुम्हारे लिए
के बेपनाह थी उल्फत मेरी तुम्हारे लिए
सुनेगा कौन मेरा गम किसे सुनाएगा
बिना तुम्हारे लहू किसका जोश खायेगा
किसी का दर्द जो ले वो जिगर नहीं मिलता
के हर शै मिलती है भाई मगर नहीं मिलता
भाई मगर नहीं मिलता
मेरी बाहों के सहारे मेरी हिम्मत मेरे भाई
मेरे भाई

तुम्हें कलेजे लगाने ये बाहें तरसेंगी
चलेगी ठंडी हवाएं तो आहें बरसेंगी
चमन उदास रहेगा बहार रोयेगी
तुम्हें ना पा के खुशी बेकरार रोएगी
किसी का भाई जुदा ना हो कभी खुदा ना करे
नसीब इतना बुरा हो कभी खुदा ना करे
कभी खुदा ना करे
मेरी जान से मुझसे प्यारे मेरी चाहत मेरे भाई
मेरे भाई
मेरी आँखों के उजाले मेरी राहत मेरे भाई
मेरे भाई
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Meri ankhone ke ujale-Abroo 1968

Artists: Ashok Kumar, Shahikala

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