गरीबों पर दया करके-रोटी १९४२
पुराने फ़िल्मी गीतों के प्रेमी ज़रूर इस गीत से वाकिफ होंगे। मगर अगली
पीड़ी के श्रोताओं के लिए ये किंचित अनसुना हो सकता है । मदर इंडिया
जैसी फिल्म बनाने वाले महबूब खान की सन १९४२ की फिल्म रोटी से ये
गीत है। ये बेहद दुर्लभ गीतों की श्रेणी में आता है । दुर्लभ इसलिए कि ना
सुनने को मिलता है ना देखने को । भरी अव्वाज़ों वाले ज़माने में गायक
अशरफ खान कि आवाज़ अलग से पहचानी जा सकती है। कुछ कुछ फ़िल्मी
गायकों और क़व्वाली गायकों के नदाज़ का मिश्रण प्रस्तुत करते अशरफ का
उच्चारण साफ़ है और इधर वे सफ़दर आह सीतापुरी का लिखा एक उपदेशात्मक
गीत गा रहे हैं। सुनिए आपको भी आनंद आएगा। फिल्म में संगीत अनिल बिश्वास
का है ।
गीत के बोल:
गरीबों पर दया करके बड़ा एहसान करते हो
गरीबों पर दया करके बड़ा एहसान करते हो
इन्हें बुजदिल बना देने का तुम सामान करते को
इन्हें बुजदिल बना देने का तुम सामान करते को
गरीबों पर दया करके बड़ा एहसान करते हो
इन्हीं को लूटते हो और इन्हें खैरात देते हो
इन्हीं को लूटते हो और इन्हें खैरात देते हो
बड़े तुम धर्म वाले हो ये अच्छा दान करते हो
बड़े तुम धर्म वाले हो ये अच्छा दान करते हो
गरीबों पर दया करके बड़ा एहसान करते हो
दरो उस वक़्त से जब रंग बदलेगा ज़माने का
दरो उस वक़्त से जब रंग बदलेगा ज़माने का
ये लेंगे तुमसे बदला जिनका अब अपमान करते हो
ये लेंगे तुमसे बदला जिनका अब अपमान करते हो
गरीबों पर दया करके बड़ा एहसान करते हो
इन्हें बुजदिल बना देने का तुम सामान करते को
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