दूर पपीहा बोला-गजरे १९४८
अनिल बिश्वास की बात चली है तो आइये उनका संगीतबद्ध किया
एक कालजयी गीत और सुना जाए। १९४८ की फिल्म गजरे जिसका
निर्देशन आर. डी. माथुर ने किया था , लता मंगेशकर और सुरैया के
कर्णप्रिय गीतों से सजी फिल्म है। फिल्म के गीत लिखे हैं गीतकार
गोपाल सिंह नेपाली ने। इस गीत को जितनी बार सुना हर बार ऐसा
लगा जैसे पहली बार सुना हो।
एक संगीत प्रेमी का मानना है कि इस गीत में सुरैया की आवाज़ मीना कपूर
की आवाज़ जैसी सुनाई देती है। मेरे ख्याल से गीता दत्त वाला अफेक्ट भी
इस गीत में समाहित है।
गीत के बोल:
दूर पपीहा बोला रात आधी रह गयी
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाकी रह गयी
दूर पपीहा बोला रात आधी रह गयी
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाकी रह गयी
मेरा मन है उदास जिया मंद मंद है
मेरा मन है उदास जिया मंद मंद है
बादलों के घेरे में चाँद नज़रबंद है
बादलों के घेरे में चाँद नज़रबंद है
बादल आये पर बरसात बाकी रह गयी
बादल आये पर बरसात बाकी रह गयी
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाकी रह गयी
दूर पपीहा बोला
आँख मिचौली खेली, झूला झूम के झूले
आँख मिचौली खेली, झूला झूम के झूले
बन में चमेली फूली हम बहार में भूले
हम बहार में भूले
पर देनी थी जो सौगात बाकी रह गयी
पर देनी थी जो सौगात बाकी रह गयी
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाकी रह गयी
दूर पपीहा बोला रात आधी रह गयी
मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाकी रह गयी
दूर पपीहा बोला
..............................
Door papiha bola-Gajre 1948
0 comments:
Post a Comment