सुनो सजना -आये दिन बहार के १९६६
क्यूँ ना हो, ६५ के बाद के गीतों में ध्वनि की मात्रा बढती गई।
ये है फिल्म 'आये दिन बहार के' का शीर्षक गीत। लक्ष्मी प्यारे
के खजाने से एक आकर्षक गीत जो फिल्माया गया है आशा पारेख
पर। लता की आवाज़ के साथ तबला और संतूर की आवाजें
आपको आनंदित करेंगी। सीढियां उतरने का प्रभाव बांसुरी के
माध्यम से प्रकट हो रहा है गीत में। गीत लिखा है आनंद बक्षी ने ।
गीत के बोल:
सुनो सजना पपीहे ने
सुनो सजना पपीहे ने कहा सबसे पुकार के
संभल जाओ चमन वालों
संभल जाओ चमन वालों के आये दिन बहार के
सुनो सजना
सुनो सजना
फूलों की डालियाँ भी यही गीत गा रही हैं
घड़ियाँ पिया मिलन की नज़दीक आ रही हैं
नज़दीक आ रही हैं
हवाओं ने जो छेड़े हैं
हवाओं ने जो छेड़े हैं फ़साने हैं वो प्यार के
संभल जाओ चमन वालों के आये दिन बहार के
सुनो सजना
सुनो सजना
देखो ना ऐसे देखो मर्ज़ी है क्या तुम्हारी
बेचैन कर ना देना तुमको क़सम हमारी
तुमको क़सम हमारी
हमीं दुश्मन ना बन जाएँ
हमीं दुश्मन ना बन जाएँ कहीं अपने करार के
संभल जाओ चमन वालों के आये दिन बहार के
सुनो सजना
सुनो सजना
बागों में पड़ गए हैं सावन के मस्त झूले
ऐसा समां जो देखा, राही भी राह भूले
राही भी राह भूले
के जी चाह यहीं रख दें
के जी चाह यहीं रख दें उम्र सारी गुज़र के
संभल जाओ चमन वालों के आये दिन बहार के
सुनो सजना
सुनो सजना
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Suno sajna-Aaye din bahar ke 1966
Artists:Asha Parekh, Dharmendra
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