Mar 7, 2010

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है-मिर्ज़ा ग़ालिब १९५४

उनींदी सी नायिका ये ग़ज़ल गा रही है। सुरैया और तलत महमूद
की गाई इस मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल को संगीतबद्ध किया है संगीतकार
गुलाम मोहम्मद ने । ये काफी चर्चित गीत है और अक्सर इसको रेडियो
वाले पुराने फ़िल्मी गीतों के कार्यक्रम में जगह दिया करते हैं। मूल ग़ज़ल
में कुछ शेर और हैं जिनको फ़िल्मी संस्करण में जगह नहीं मिली है।

गीत के आखिर में नायिका के भाव कुछ यूँ हो गए हैं जैसे उसने कड़वा
करेला चबा लिया हो। फिल्म में मिर्ज़ा ग़ालिब की भूमिका निभाई है
भारत भूषण ने और उनके चेहरे के भाव संयमित हैं।



गीत के बोल:


दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है

हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही, ये माजरा क्या है

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है

मैं भी मुह में ज़ुबान रखता हूँ
मैं भी मुह में ज़ुबान रखता हूँ
काश पूछो की मुद्दा क्या है

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है

हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है

जान तुम पर निसार करता हूँ
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP