देख चाँद की ओर-आग १९४८
सुना जाए। ये है शैलेश मुखर्जी और शमशाद बेगम का गाया युगल गीत।
आकर्षक धुन है इस गीत की, जिसे लिखा है सरस्वती कुमार दीपक ने
और धुन बनाई है राम गांगुली ने। फिल्म में मल्लाह गीत गा रहा है।
इस तरह के प्रतीकात्मक गीत आगे बहुत बने। आइये ये गीत देखा जाए।
गीत के बोल:
कहीं का दीपक, कहीं की बाती
कहीं का दीपक, कहीं की बाती
आज बने हैं जीवन साथी
देख हंसा है चाँद, मुसाफिर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
मुसाफिर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
देख घटा घनघोर
देख घटा घनघोर
मुसाफिर, देख घटा घनघोर
देख घटा घनघोर
चाँद के मुख पर घूंघट डाले,
खेल रही जो खेल
खेल रही जो खेल
छिपा लिया आँचल में मुखड़ा,
देख घटा का खेल
देख घटा का खेल
खेल खेल में देख मुसाफिर,
बंधी प्रीत की डोर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
मुसाफिर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
देख लहर की ओर
देख लहर की ओर
मुसाफिर
देख लहर की ओर
देख लहर की ओर
तड़प उठी जो देख चाँद को
छिपा ना पाई प्रीत
छिपा ना पाई प्रीत
मिलन हुआ चंदा लहरों का,
गूँज उठा संगीत
गूँज उठा संगीत
यूं मिलते हैं देख मुसाफिर,
चंदा और चकोर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
मुसाफिर
देख चाँद की ओर
देख चाँद की ओर
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Dekh chand ki or-Aag 1948
Artist: Raj Kapoor
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