भीगी भीगी रुत है-तकदीर का बादशाह १९८२
मिथुन चक्रवर्ती और रंजीता की। इस जोड़ी के १-२ गीत हम
शामिल कर चुके हैं इस ब्लॉग पर। आज सुनिए एक कर्णप्रिय
रोमांटिक गीत जो सन १९८२ की फिल्म तकदीर का बादशाह
से लिया गया है । बी सुभाष के निर्देशन में बनी इस फिल्म में
ये एक उत्तम बरसाती गीत है जिसपर प्रेमियों का ध्यान नहीं
गया । गीत की विशेषता है नायिका द्वारा प्रश्नवाचक -"और" ।
नारी सुलभ भावनाओं को उभरता ये गीत बतला रहा है कि कितनी
भी तारीफ़ कर लो, नारियों को कम ही लगा करती हैं। उन्हें हमेशा
"और" की चाह रहती है। पानी(H2O) में इस जोड़ी की केमिस्ट्री
ज़बरदस्त लग रही है।
गीत के बोल:
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
हो ओ, रुकी रुकी साँसें हैं
जवानी बेकरार है
और ?
यहाँ कोई नहीं
तेरा मेरा प्यार है
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
मेरे ख्यालों की गर्मी ने
तेरी जवानी पिघल रही है
पानी में दोनों मचल रहे हैं
आग बदन से निकल रही है
पहले जो दिल की बिगड़ी थी हालत
अब वो ज़रा सी संभल रही है
और ?
यहाँ कोई नहीं
तेरा मेरा प्यार है
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
बढ़ने लगी है रूप की ठंडक
बादल रहा है प्यार का मौसम
मेरी नज़र भी दोल रही है
काँप रही है तू भी ए हमदम
तुझको ज़रुरत शोलों की है
मुझमे समा जा ए मेरी शबनम
और ?
यहाँ कोई नहीं
तेरा मेरा प्यार है
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
देख रहा हूँ तू दुल्हन है
और फूलों की सेज सजी है
साँसों में एक तूफ़ान लिए तू
शर्म-ओहाय में डूबी हुई है
जितना मैं तुझसे लिपट रहा हूँ
उतनी ही तू खुद में सिमट रही है
और ?
यहाँ कोई नहीं
तेरा मेरा प्यार है
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
हो ओ, रुकी रुकी साँसें हैं
जवानी बेकरार है
और ?
यहाँ कोई नहीं
तेरा मेरा प्यार है
भीगी भीगी रुत है
उमंगों पे निखार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
धुंधली सी रौशनी है
आँखों में खुमार है
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