May 2, 2010

आज मैं जवान हो गई हूँ-मैं सुन्दर हूँ १९७१

सबसे पहले तो इस फिल्म के नाम को लेकर कनफ्यूज़न हुआ कि
नायिका के सौंदर्य कि चर्चा है या नायक के नाम की ? हिंदी सिनेमा
के इतिहास में कुछ ऐसी फ़िल्में ज़रूर आयीं -मैं......... हूँ। खाली स्थान
में आप जो चाहे शब्द फिट कर दें। मैं ये हूँ, मैं वो हूँ, इत्यादि...... ।

जवान होने का मधुर बिगुल बजाया जा रहा है और तोता हाँ में हाँ मिला
रहा है। तोते की आवाज़ की वजह से ये गीत एकदम अलग सा है। रेडुआ
पर ये बहुत बार सुनाई दे चुका है । लीना चंदावरकर पर ये गीत फिल्माया
गया है। गीत लिखा है आनंद बक्षी ने और धुन बनाई है शंकर जयकिशन ने।
आनंद बक्षी ने शंकर जयकिशन खेमे के लिए बहुत कम गीत लिखे हैं। इस
फिल्म में सारे गीत उनके ही लिखे हुए हैं।

गाना तोते को भी पसंद है इसलिए बहुत शांत भाव से वो नायिका की
संगीतमय कसरत झेल रहा है।


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गीत के बोल:

आज मैं जवान हो गई हूँ
गुल से गुलिस्तान हो गई हूँ
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना

आज मैं जवान हो गई हूँ
गुल से गुलिस्तान हो गई हूँ
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना

डगमगा रहे हैं पाँव ऐसे
चल रही हूँ मैं हवा पे जैसे
डगमगा रहे हैं पाँव ऐसे
चल रही हूँ मैं हवा पे जैसे
ज़ुल्फ़ ये बिखर गई है कैसे
मैं तो परेशान हो गई हूँ

ओ मिट्ठू मियां

आज मैं जवान हो गई हूँ
गुल से गुलिस्तान हो गई हूँ
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना

मैं तो एक क़सम थी कैसे टूटी
जिस ने चैन लूटा नींद लूटी
मैं तो एक क़सम थी कैसे टूटी
जिस ने चैन लूटा नींद लूटी
जिस की बात बात पे मैं रूठी
उस पे मेहरबान हो गई हूँ

ओ मिट्ठू मियां

आज मैं जवान हो गई हूँ
गुल से गुलिस्तान हो गई हूँ
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना
ये दिन ये साल ये महीना ओ मिट्ठू मियां
भूलेगा मुझ को कभी ना

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