क्या हवा चली-परख १९६०
कटाक्ष और व्यवस्था पर व्यंग्य केवल नामचीन शायरों ने ही नहीं
किये वरन हिंदी कवियों ने भी किये हैं। हिंदी का पाठक उदार है और
वो शेर शायरी पर तो वाह वाह कर देता है मगर कविता की प्रशंसा में
कंजूसी करता है। यहाँ पाठक का तात्पर्य फ़िल्मी पत्रकारों से और ज्ञानी
संगीत भक्तों से है।
अब गायक और गायकी की बात की जाए। अगर गीत मन्ना डे का गाया
हुआ है तो चर्चा न्यूनतम मिलेगी । अरे भाई, पुराने पुरुष गायकों में एक
ही तो शास्त्रीय संगीत में महारथ हासिल किया हुआ गायक है। गायकी
जिसके लिए बहुत सहज काम है। मगर वो है ना- एक बार कोमेडी गीतों
का घेरा बन गया इर्द गिर्द तो फिर आसानी से किसी को छूटने नहीं देता ।
अगर वही सब गीत मन्ना डे ने महमूद/अन्य हास्य कलाकार के बजाये
किसी भी नामचीन नायक के लिए गाये होते तो आज उनकी प्रशंसा में भी
पब्लिक पांच पन्ने का निबंध लिखती ।
गीत लिखा है शैलेन्द्र ने और संगीत तैयार किया सलिल चौधरी ने। ये एक
ऐसा गीत है जो तबियत से बनाया गया है। ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुआ जिससे
संगीतकार और गीतकार दोनों को दुःख अवश्य हुआ होगा।
गीत के बोल:
क्या हवा चली बाबा रुत बदली
ओ बाबा क्या हवा चली रे बाबा रुत बदली
शोर है गली गली
सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
क्या हवा चली बाबा रुत बदली
शोर है गली गली
सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
क्या हवा चली बाबा ओ बाबा रुत बदली ओ बाबा
पहले लोग मर रहे थे भूख से अभाव से
पहले लोग मर रहे थे
पहले लोग मर रहे थे भूख से अभाव से
अब कहीं ये मर ना जाए अपनी कांव कांव से
अरे मीठी बात कडवी लगे गालियाँ भली
क्या हवा चली
क्या हवा चली रे बाबा रुत बदली
शोर है गली गली
सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
क्या हवा चली ओ बाबा
ऊपर आओ अरे झिझकते क्यों हो
ऊपर आओ
ये मंदिर तो तुम्हारा ही है भैया
प्रसाद लो
भगवान् के घर में कोई छोटा बड़ा नहीं है
सब बराबर हैं
हा हा हा
आज तो जहाँ की उलटी हर इक बात है
उलटी हर इक बात है
अरे हम जो कहे दिन है भाई लोग कहें रात है
लोग कहें रात है
खेत में भी खिल रही है प्यार की कली
क्या हवा चली
क्या हवा चली रे बाबा रुत बदली
शोर है गली गली
सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
क्या हवा चली ओ बाबा
बोर्ड क्यों बादल रहे हैं
पुराना हो गया है क्या
अरे केष्टो
भाई को नए बोर्ड का मतलब समझा दे
अरे बुद्धू दिखता नहीं
लिखा है खैराती दवाखाना
आईंदा गरीबों से एक कौड़ी नहीं ली जायेगी
डॉक्टर साहब मुफ्त इलाज़ करेंगे
आम में उगे खजूर नीम में फले हैं आम
आम में उगे खजूर
अरे आम में उगे खजूर नीम में फले हैं आम
डाकुओं ने जोग लिया चोर भजे राम नाम
होश की दवा करो मियां फज़ल अली
क्या हवा चली
क्या हवा चली रे बाबा रुत बदली
शोर है गली गली
सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली
क्या हवा चली बाबा ओ बाबा रुत बदली
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