भगवान तेरी दुनिया में इंसान- रेल का डिब्बा १९५३
बहुत सालों तक 'रील का डिब्बा' सुनाई देता रहा। सिनेमा की रीलें
डब्बे में बंद होके जो आया करती हैं। फिर सुनाई पड़ा रेल का डिब्बा।
फिल्मों के नाम कुछ भी हो सकते हैं । जब "अरविन्द देसाई की
अजीब दास्तान" नाम रखा जा सकता है तो 'रेल का डिब्बा' तो
आम तौर पर अक्सर सुना जाने वाला शब्दों का समूह है।
ये गीत रेल के डिब्बे में नहीं बल्कि स्टेज पर फिल्माया गया है।
शम्मी कपूर की पहली २-३ फिल्मों में से एक इस फिल्म में उनके
साथ मधुबाला हैं। मधुबाला को इतनी गति से नाचते शायद आपने
किसी और फिल्म में देखा हो। शकील बदायूनी के बोलों को धुन दी है
गुलाम मोहम्मद ने। आशा भोंसले की आवाज़ में भगवन से शिकायत
वाला गीत सुनिए।
गीत के बोल:
भगवान, भगवान
भगवान तेरी दुनिया में
भगवान तेरी दुनिया में इंसान नहीं है
इन्सान नहीं है
मस्जिद भी है मंदिर भी है ईमान नहीं है
ईमान नहीं है
भगवान तेरी दुनिया में
भगवान तेरी दुनिया में इंसान नहीं है
इंसान नहीं है
मस्जिद भी है मंदिर भी है ईमान नहीं है
ईमान नहीं है
आपस में यहाँ फूट है दिल सबके जुदा हैं
दौलत जिन्हें मिल जाये वही लोग खुदा हैं
इतना भी नहीं सोचते हम कौन हैं क्या हैं
इंसान को
इंसान को इंसान की पहचान नहीं है
भगवान तेरी दुनिया में
भगवान तेरी दुनिया में इंसान नहीं है
इंसान नहीं है
मस्जिद भी है मंदिर भी है ईमान नहीं हैं
ईमान नहीं हैं
तू चाहे तो हर मौज को तूफ़ान बना दे
सच्चा है तो बिगड़े हुए ईमान बना दे
इन ख़ाक के, इन ख़ाक के
इन ख़ाक के पुतलों को फिर इंसान बना दे
वरना मैं सम्झोंगी तू भगवन नहीं है
भगवान तेरी दुनिया में
भगवान तेरी दुनिया में इंसान नहीं है
इंसान नहीं है
मस्जिद भी है मंदिर भी है ईमान नहीं है
ईमान नहीं है
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