शिव जी बिहाने चले-मुनीमजी १९५५
बोलों में अगर कुछ त्रुटियाँ हों तो ध्यानाकर्षण अपेक्षित है पाठकों से.
आज आपको एक सावन स्पेशल फ़िल्मी धार्मिक गीत सुनवाते हैं। फिल्म
मुनीमजी में इसे एक नाट्य कार्यक्रम के रूप में दिखाया गया है। एक अरसा
हो गया इसको सुने हुए। वैसे भी भक्ति की ज़रुरत संकट या अपनी इच्छा
पूर्ती के लिए पढ़ती है। ऐसा ज्यादा अनुभव में आता है। जिनमें भक्ति स्वतः
उत्पन्न हो, ऐसे प्राणी उँगलियों पर गिने जा सकते हैं। गीत प्रस्तुत करने
कि इच्छा शिवरात्रि के अवसर पर थी मगर संभव न हो पाया.
खैर गीत पर चर्चा की जाए। नाट्य जगत का संगीत से रिश्ता बहुत पुराना है।
अक्सर आपने देखा होगा नाट्य या प्रह्सनों के दौरान एक सूत्रधार या तो
कहानी बयान करता मिलता या फिर कोई गीत सुना कर कहानी को आगे
बढ़ने का काम करता या फिर जो नाटक सर के उपर से गुजरते प्रतीत होते
उनको दर्शकों के भेजे में डालने का प्रयत्न करता। कुल मिलकर बिना सूत्रधार
के मजा नहीं आता। लम्बे ३-४ घंटे के किसी नाटक में तो मैंने १०-१२ गीत
सुन डाले। जब भी झपकी लग जाती गाने वालों की ज़ोर की आवाजें उठ बैठने
को बाध्य कर देती। कई बार तो यूँ होता कि पर्दा गिरने के बाद ही पता चलता
कि नाटक ख़त्म हो गया है।
गीत में शिव जी की बारात निकाल रही है। उनके गण आसपास नृत्य करते
हुए ख़ुशी से झूम रहे हैं। गीत लिखा है शैलेन्द्र ने और धुन बनाई है एस डी बर्मन
ने। गायक कलाकार हैं हेमंत कुमार।
चलते चलते एक इच्छा मैं भी एक अपनी छोड़ते चलता हूँ और स्तुति करता
हूँ । हे-प्रभु उन ब्लॉग एग्रीगेटर्स के मालिकों को क्षमा कर देना जिन्होंने एक
पोस्ट वाले ब्लॉग तो सूची में डाल दिए और हमें तरसा रहे हैं। एक ले दे के
चिट्ठाजगत ही बचा था ट्रैफिक मिलने को वो भी बंद पड़ा हुआ है। चंपूगिरी
और चमचागिरी हमसे होती नहीं तो क्या करें बताएं , ज्ञान दें, और , थोड़े
फुरसतिये समर्पित किस्म के टिप्पणीकार भेज दे जो खाली पन्ने की पोस्ट
देख के भी वाह वाह का चटका लगायें।
गीत के बोल:
बम बम भोला
बम बम भोला
बम बम भोला
बम बम भोला
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
को: भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ जब शिव बाबा करे तैयारी
कैसे सकल समान हो
दाहिने अंग त्रिशूल विराजे
नाचे भूत शैतान हो
ब्रह्मा चलें विष्णु चलें
लै के वेद पुराण हो
शंख चक्र और गदा धनुष लै
चलें श्री भगवान हो
और बन-ठन के चलें बोम भोला
लिए भांग धतूरा का गोला
बोले ये हरदम
चले लड़का पराये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
हो ई आयी हो ई आया
हो ई आयी हो ई आया
आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ
हे: ओ माता मतदिन पर चंचल ली
तिलक जली लीलार हो
काला नाग गर्दन के नीचे
वोहू दिलन फुसकार हो
लोटा फेंक के भाग चलैली
ताविज निकल लिलार हो
इन के संग बिबाह न करबो
गौरी रही कुँवारी हो
कहे पार्वती समझायी
बतिया मानो हमरो माई
जै हा राइहा ला हम करमवा लिखाए के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओम नमः शिवाय
......स्वाहा ....
ओम नमः शिवाय
ओ जब शिव बाबा मड़वा गईले
होला मंगलाचार हो
बाबा पंडित वेद विचारे
होला गुस्सा चार हो
बजरबटी की लगी झालरी
नागिन की अधिकार हो
विज मड़वा मे नावन अईली
करे झंगन वड़ीयार हो
ए गो नागिन गह्लन विदाई
नावन गिऊले चले परायी
सब हँसे लगैला
देवता ठठाय के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ कोमल रूप धरे शिव-शंकर
खुशी भये नर-नारी हो
राजही नाचन गान कराइले
इज्जत रहें हमार हो
रहे वर साथी शिव-शंकर से
केहू के न पावल पार हो
इन के जटा से गंगा बहिली
महिमा अगम अपार हो
जय शिव-शंकर ध्यान लगाये
इन के तीनों लोक दिखाये
कहे दुःख हरण यही
छडो बनवाए के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
ओ शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाये के
भभूति लगाये के
पालकी सजाये के ना
....................................
Shivji Bihane Chale-Munimji 1955
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शम्भू, हर हर महादेव.
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