मेरा सलाम ले लो-मेरा सलाम १९७९
एक दुर्लभ गीत सुनवाया जाए आपको। मोहम्मद रफ़ी का गाया ये गीत मुझे
पसंद है। कोई विशेष वजह नहीं पर जब पहली बार सुना था तभी ये जुबां पर चढ़ गया।
इसको संगीतबद्ध किया है एक प्रतिभावान संगीतकार ने जिनका नाम है राजकमल ।
इस फिल्म का नाम आपने पहले नहीं सुना होगा ऐसा मेरा ख्याल है। हालाँकि १९५७
में भी इसी नाम की एक फिल्म बनी थी उसको भी इस फिल्म की तरह दर्शकों का
सलाम नहीं मिला। १९५७ की फिल्म में हफीज खान का संगीत था और भारत भूषण
फिल्म में एक कलाकार थे।
गीत लिखा है कुलवंत जानी ने और मुझे उस नायक का नाम मालूम नहीं जिसपर
इसे फिल्माया गया है।
गीत के बोल:
सिजदे दर-ए-महबूब के काम आने लगे हैं
खामोश निगाहों के सलाम आने लगे हैं
आया हूँ मेरे दिलबर तेरे अंजुमन में लेकर
ये वफ़ा का जाम ले लो
ये वफ़ा का जाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
सिजदे दर-ए-महबूब के काम आने लगे हैं
खामोश निगाहों के सलाम आने लगे हैं
आया हूँ मेरे दिलबर तेरे अंजुमन में लेकर
ये वफ़ा का जाम ले लो
ये वफ़ा का जाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरे दिल में आरजू थी
एक शम्मा जल रही है
मेरे दिल में आरजू थी
एक शम्मा जल रही है
तेरी बंदगी की हसरत
मेरे दिल में पल रही है
ओ मेरा सर झुके जहाँ पर
मेरा सर झुके जहाँ पर
तुम वहीँ मुकाम ले लो
तुम वहीँ मुकाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
हो ओ ओ ओ ओ ओ,
हो ओ ओ ओ ओ ओ
यही इल्तिजा करूंगा
आज अपने मेहरबान से
यही इल्तिजा करूंगा
आज अपने मेहरबान से
मेरे लब ना कह सकेंगे
जिसे उम्र भर जुबां से
ओ मेरी बेजुबान नज़र से
ओ मेरी बेजुबान नज़र से
वो हसीं कयाम ले लो
वो हसीं कयाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मैं खुदा को ढूंढ लाया
यूँ तुझे तलाश कर के
मैं खुदा को ढूंढ लाया
यूँ तुझे तलाश कर के
के बना लिया है हीरा
के बना लिया है हीरा
शीशा तराश कर के
मैं तुम्हारा नाम लूँगा
मैं तुम्हारा नाम लूँगा
तुम खुदा का नाम ले लो
तुम खुदा का नाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
आया हूँ मेरे दिलबर तेरे अंजुमन में लेकर
ये वफ़ा का जाम ले लो
ये वफ़ा का जाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
मेरा सलाम ले लो
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