लड़ी आंख से आंख-पॉकेटमार १९५६
लेकिन शौक को जिंदा रखने के लिए आदमी का जिंदा रहना ज़रूरी है।
आदमी को जिंदा रखने के लिए रोटी ज़रूरी है। महात्माओं की बात नहीं
हो रही जो हवा और पानी के सहारे भी गुज़ारा कर लिया करते हैं।
फिलोसोफी को इधर ही ख़त्म करते हुए आइये आज के गीत पर बात
की जाए। आज बहुत दिनों बाद हजामत करायी थी सो एक गाना याद
आ गया। फिल्म पॉकेटमार से जो सन १९५६ की फिल्म है ये गीत लिया
गया है।
देव आनंद और गीता बाली पर फिल्माए गए इस गीत को गाया है लता
और रफ़ी ने। नायक नायिका इस गीत में काफी देर तक दर्शक की
भूमिकाओं में हैं। हास्य का पुट लिए इस गीत में आपको गुज़रे ज़माने के
नामचीन हास्य कलाकार गोप भी दिखलाई देंगे।
गीत के बोल:
लड़ी आंख से आंख मोहब्बत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
बाबूजी के गोरे गाल
हाय हाय देखो हो गए लाल
बाबूजी के गोरे गाल
हाय हाय देखो हो गए लाल
जल गई हांड़ी गली ना दाल
बैठे रह गए बांकेलाल
जल गई हांड़ी गली ना दाल
बैठे रह गए बांकेलाल
लगा तमाचा जोर से
लगा तमाचा जोर से जी
अच्छी शामत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
आहा, लड़ी आंख से आंख मोहब्बत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
ऐसा छूटा एक पटाखा
बड़े जोर का हुआ धमाका
ऐसा छूटा एक पटाखा
बड़े जोर का हुआ धमाका
कहने वाले सच कह गए
प्यार है बड़ा लड़ाका
कहने वाले सच कह गए
प्यार है बड़ा लड़ाका
बड़े बड़ों की प्यार के हाथों
बड़े बड़ों की प्यार के हाथों
अजी मरम्मत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
वाह वाह वाह
लड़ी आंख से आंख मोहब्बत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
ना जान ना पहचान
अजी मैं आपका मेहमान
दिल का खेल नहीं दिलवालों इतना तो आसान
ना जान ना पहचान
अजी मैं आपका मेहमान
दिल का खेल नहीं दिलवालों इतना तो आसान
दुनिया को तो दिल देने कीदुनिया को तो दिल देने की
यूँही आदत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
वाह वाह वाह
लड़ी आंख से आंख मोहब्बत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
लड़ी आंख से आंख मोहब्बत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
लड़ी आंख से आंख मोहब्बत हो गई
पड़ा गाल पे हाथ हजामत हो गई
हाय हजामत हो गई
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Ladi aankh se aankh-Pocketmaar 1956
Artists: Geeta Bali, Dev Anand, Gope
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