नदिया के पानी ओ रे-सवेरा १९५८
आइये आपको एक मधुर गीत सुनवाया जाए जो १९५८ की फिल्म
सवेरा से लिया गया है। संगीतकार शैलेश का नाम शायद आपने न
सुना हो। उन्होंने फिल्म आग में राम गांगुली के संगीत निर्देशन में
एक गीत गाया है-देख चाँद की और। शैलेश ने सवेरा के अलावा भी
२-३ हिंदी फिल्मों में संगीत दिया है। प्रस्तुत गीत प्रेम धवन ने लिखा
है और इसे गाया है लता मंगेशकर ने। मीना कुमारी नाव में बैठी
ये गीत परदे पर गा रही हैं। फिल्म के नायक अशोक कुमार भी आपको
चहल कदमी करते हुए दिखाई दे जायेंगे।
गीत के बोल:
नदिया के पानी ओ रे
नदिया के पानी
छुप छुप जइयो
सजना से कहियो
बैरी तेरे बिन कैसे बीतेगी जवानी
नदिया के पानी ओ रे
नदिया के पानी
छुप छुप जइयो
सजना से कहियो
बैरी तेरे बिन कैसे बीतेगी जवानी
मौसम आए मौसम जाए
साजन तुम न आए
मौसम आए मौसम जाए
साजन तुम न आए
ओ बचपन के मीत
ओ बचपन के मीत
तुम्हारे बिन अब रहा न जाए
नदिया के पानी ओ रे
नदिया के पानी
छुप छुप जइयो
सजना से कहियो
बैरी तेरे बिन कैसे बीतेगी जवानी
दिल तुम को पहचाने लेकिन
ये अँखियाँ भरमाए
दिल तुम को पहचाने लेकिन
ये अँखियाँ भरमाए
इन दोनों के बीच
इन दोनों के बीच
अकेले हम तड़पे रह जाए
नदिया के पानी ओ रे
नदिया के पानी
छुप छुप जइयो
सजना से कहियो
बैरी तेरे बिन कैसे बीतेगी जवानी
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