सो गई चांदनी -आकाश १९५३
एक बार गुज़िश्ता ज़माने की ओर फिर से चला जाए। इस गीत को
मैंने ३-४ बार सुना था बहुत पहले। एक दिन यकायक मुझे ये फिर
सुनाई दे गया। गीत फिल्म आकाश से है इतना तो मुझे मालूम था
मगर इसका संगीत अनिल बिश्वास द्वारा तैयार किया गया है- ये तथ्य
मैं भूल चुका था। इस गीत को जिस बारीकी से तैयार किया गया
उससे मुझे संगीतकार को पहचान जाने में मदद मिली। अनिल बिश्वास
अपनी धुनों पर काफी मेहनत करते थे। मेहनत का अर्थ ये नहीं कि
घंटों, दिनों और महीनों उसमे लगे रहते थे। गीत की लय , गायक
गायिका के उच्चारण वगैरह पर उनका बहुत ध्यान रहता। हर अंतरे
की धुन अलग है और ये बहुत बड़ी विशेषता है अनिल बिश्वास के
संगीत की। सत्येन्द्र अथैया ने गीत के बोल लिखे हैं । फिल्म में दो
महिला कलाकार हैं-शम्मी और नादिरा । शम्मी को आपने कई
फिल्मों में चरित्र भूमिकाओं में देखा है। हम मान लेते हैं कि ये गीत
नादिरा पर फिल्माया गया होगा।
गीत के बोल:
सो गई चांदनी
जाग उठी बेकली
गम सताने लगे
तुम मुझे और भी याद आने लगे
तुम मुझे और भी याद
थी ख़ुशी ज़िन्दगी
आंख में अश्क भी
दब्दबने लगे
तुम मुझे और भी याद आने लगे
तुम मुझे और भी याद
लाख उमंगें लिए
रात ढलने लगी
मेरी तन्हाई करवट बदलने लगी
हाय रे बेबसी अब मेरे साये भी
मूंह छुपाने लगे
तुम मुझे और भी याद आने लगे
तुम मुझे और भी याद
दूर तक मेरे दिल की
पुकारें गयीं।
दूर तक मेरे दिल की
पुकारें गयीं।
फिर ना लौटीं कुछ ऐसी
बहारें गयीं
शाम-ए-ग़म की कसक अब तो मेरे कदम
डगमगाने लगे
तुम मुझे और भी याद आने लगे
तुम मुझे और भी याद
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